Religious: योग साधना स्वस्थ आनन्दमय जीवन एवं आत्म साक्षात्कार का मूल मंत्र है- आचार्य लोकेश
Yoga practice is the basic mantra for a healthy, joyful life and self-realization - Acharya Lokesh
अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक प्रख्यात जैन आचार्य लोकेशजी ने लोनावला में कैवल्यधाम शताब्दी समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। कैवल्यधाम के अध्यक्ष डॉ. ओपी तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित दो दिवसीय समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु, योग संस्थान की अध्यक्ष मां हंसा जी योगेंद्र, प्रख्यात बौद्ध संत चोक्योंग पालगा रिनपोछे, संन्यास आश्रम के अध्यक्ष स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि जी, स्वामी विवेकानंद योग विश्वविद्यालय के स्वामी आत्मप्रियानंद जी ने भी संबोधित किया। विश्व शांति दूत आचार्य लोकेशजी ने इस अवसर पर आयोजित ‘योग: सांस्कृतिक एकता का साधन’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का अमूल्य उपहार है, योगाभ्यास स्वस्थ, आनंदमय जीवन एवं आत्मसाक्षात्कार का मूल मंत्र है।
उन्होंने कहा कि कैवल्यधाम विश्व के सबसे पुराने अग्रणी योग संस्थानों में से एक है, जो पतंजलि के अष्टांग योग के सिद्धांतों और दर्शन का पालन करता है, यहां पारंपरिक योग का शुद्धतम रूप देखना गर्व की बात है। इस संस्थान ने स्थापित किया है कि भारतीय योग परंपरा वैज्ञानिक रूप से विकसित है, वैज्ञानिक शोध करने वाला यह पहला योग संस्थान है। यहां योग ज्ञान का वैश्विक स्तर पर प्रसार होता है, इसके लिए यहां काम करने वाले सभी लोग आभारी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा योग को दुनिया के हर देश में अपनाया जा रहा है, योग साधना से विश्व जनमानस लाभान्वित हो रहा है, यह भारत के लिए गौरव की बात है। पूज्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि जी ने कहा कि योग मानव शरीर और व्यक्तित्व के साथ-साथ समाज में भी संतुलन पैदा करता है। यह सद्भाव और शांति का अनूठा मार्ग है। पूज्य आचार्य लोकेश जी ने बताया कि नवंबर माह में भारत के पहले विश्व शांति केंद्र का उद्घाटन गुरुग्राम दिल्ली एनसीआर में होने जा रहा है। जहां से मानव एवं समाज कल्याण के अनेक कार्यक्रम चलाए जाएंगे साथ ही भारतीय परंपरा से अहिंसा एवं शांति का संदेश विश्व में फैलाने का प्रयास किया जाएगा।
समारोह का शुभारंभ शांतिपाठ से हुआ, स्वागत एवं अध्यक्षीय भाषण श्री डॉ. ओपी तिवारी ने दिया, कैवल्यधाम के 100 वर्ष पर लघु फिल्म का प्रदर्शन, श्री सुबोध तिवारी द्वारा ध्यानवाद के पश्चात शांति मंत्र के साथ उद्घाटन सत्र का समापन हुआ।