Religion: आचार्य लोकेश ने ऋषि चैतन्य आश्रम के रजत जयंति महोत्सव को किया सम्बोधित

Acharya Lokesh addressed the silver jubilee festival of Rishi Chaitanya Ashram.

विश्व शांति केन्द्र एवं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश जी ने आनंदमूर्ति गुरुमाँ द्वारा स्थापित ऋषि चैतन्य आश्रम के रजत जयन्ती महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा की आज चैतनावान ऋषियों का अद्भुत संगम उपस्थित हुआ है। उन्होंने कहा की हमारा भारत देश ऋषि प्रधान देश है त्यागी, तपस्वी, मनीषी ऋषियों ने सदा देश और दुनिया का मार्गदर्शन किया है। उसी श्रृंखला में आनन्दमूर्ति गुरुमाँ का विशिष्ठ स्थान है जिन्होंने विश्व भर में धर्म, अध्यात्म व भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा भारतीय संस्कृति के केन्द्र में भौतिकता की बजाय चेतना, आत्मा व अध्यात्म को प्रधानता मिली है। मौजुदा समय में उसको भुलाने से समाज में अनेक विकृतियां पनप रही हैं। आचार्य लोकेश ने कहा धर्म का भौतिक विकास से कोई विरोध नहीं है, परन्तु वह अध्यात्म की नींव आधारित होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर भौतिक विकास वरदान की जगह अभिशाप बन जाता है।

इस अवसर पर आश्रम की संस्थापिका आनन्दमूर्ति गुरुमाँ ने विगत 25 वर्षों में आश्रम के विकास का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करते हुए अध्यात्म साधना के इच्छुक श्रद्धालुओं को आश्रम में साधना-चिकित्सा ध्यान योग हेतु आमंत्रित किया। उन्होंने उपस्थित सभी संतों का शॉल व प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर उपस्थित संतों और साध्वियों – युगपुरूष स्वामी परमानंद गिरि जी, बौद्ध भिखु संघसेना जी, गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी, साध्वी निरंजन ज्योति जी, स्वामिनी विमलानंद जी, स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरि जी, स्वामी चित्प्रकाशानंद जी ने भी अपना आर्शीवाद प्रदान किया। महा आरती का आयोजन हुआ एवं भजनों व शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मश्री माधवी मुद्गल द्वारा संचालित ओडिसी नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति हुई।

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