Religion: नारी सम्मान से ही समाज व राष्ट्र की उन्नति सम्भव-आचार्या श्रुति सेतिया

Progress of society and nation is possible only by respecting women - Acharya Shruti Setia

आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि जिस समाज में नारियों का सम्मान होता है वहीं सुख शांति का वास होता है और जहां नारी का अपमान होता है वह समाज अथवा राष्ट्र नष्ट भ्रष्ट होकर गर्त में जा गिरता है।अतः हमें उचित है की समग्र महिलाओं का यथायोग्य सम्मान करें और उनको उनका अधिकार भी दे,तभी समाज व राष्ट्र उन्नति प्रगति कर सकता है।
वेदों में नारी के कर्तव्य को बताया गया है।घर को संभालना,सबकी सेवा करना,छोटो की उन्नति पर पूरा प्रयत्न करना,अतिथियों की सेवा करना स्त्री का धर्म व कर्तव्य है।नारी को प्रतिदिन यज्ञ करना चाहिए।इसके साथ साथ स्त्री को कर्मठ भी होना चाहिए।स्त्री को सैन्य शिक्षा भी ग्रहण करनी चाहिए जिससे वह वर्तमान की परिस्थिति में आत्मरक्षा के लिए दूसरे के ऊपर निर्भर ना हो।हम सबको वेदों का अच्छी प्रकार स्वाध्याय करके नारी शक्ति को संगठित करके सशक्त बनाना चाहिए जिससे कभी कोई उपद्रवी,अन्याई,अत्याचारी, बलात्कारी व्यक्ति नारियों के ऊपर अपना अधिकार जमा ना सके। इस विषय में स्वयं महिलाओं को जागरूक रहकर विशेष ध्यान रखना चाहिए और वेदानुसार इन गुणों को अपने आचरण में लाकर एक अच्छे समाज का निर्माण करना चाहिए।नारी में नर की अपेक्षा दयालुता,उदारता,सेवा, परमार्थ एवम् पवित्रता की भावना अधिक होती है।उसका कार्यक्षेत्र संकुचित करके घर तक ही सीमाबध कर देने के कारण ही संसार में स्वार्थपरता,हिंसा, निष्ठुरता,अनीति एवम् विलासिता की बाढ़ आई हुई है।यदि राष्ट्र का सामाजिक और राजनैतिक नेतृत्व नारी के हाथ में हो तो उसका मातृ हृदय अपने सौंदर्य के कारण सर्वत्र सुख शांति की स्थापना कर दे।यदि इस और से आंखे बंद कर ली गई और भारतीय नारी को जिस प्रकार अविध्या और अनुभवहीन की स्तिथि में रहने को विवश किया गया है तो आगामी पीढ़ियां और भी अधिक मूर्खता उदंडता लिए युग आवेगी और हमारे घरों की परिपाटी को नर्क बना देगी।वास्तव में जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी,दृष्टिकोण नहीं बदलेगा तब तक महिलाओं की स्तिथि नही सुधरेगी।पुरुषत्व की सार्थकता महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान देने में है,उनका शोषण करना कायरता है।नारी का सम्मान जहां है,संस्कृति का उत्थान वहा है।अभी और  चिंतन की आवश्यकता है,नारी ही शक्ति है,उसे नुकसान पहुंचे तो समाज शक्तिहीन हो जायेगाअतः पुरुषों को अधिक संवेदनशील होना पड़ेगा तभी महिलाओं का उत्थान संभव है।

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