Religion: शरद पूर्णिमा – भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्योतिष शास्त्र एवं योग अध्यात्म आदि में चंद्रमा एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है – योग गुरु महेश अग्रवाल
Sharad Purnima - Moon holds an important place in Indian culture, religion, astrology and yoga spirituality etc. - Yoga Guru Mahesh Aggarwal.

*योग अभ्यास में भी चन्द्रमा का महत्व हैं, चंद्रभेदी प्राणायाम आखों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बेहद कारगर साबित होता है। जो लोग आंखों के धुंधलेपन से परेशान हैं उन्हें इस आसन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इसके नियमित अभ्यास से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। उच्च रक्तचाप के लिए बहुत उपयोगी अभ्यास हैं । सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लाभ जैसे ही चंद्र नमस्कार के लाभ प्राप्त होते हैं, जिस प्रकार सूर्य नमस्कार विशेष रूप से प्रातः काल कराया जाता है उसी प्रकार चंद्र नमस्कार संध्या काल में करना चाहिए। शरीर सुंदर, बलिष्ठ, सुडौल होता है। उदर प्रदेश को लाभ मिलता है। क़ब्ज़, अम्लता, अजीर्ण आदि दूर होते हैं। शरीर कातिवान एवं तेजमय बन जाता है। मानसिक शांति एवं शीतलता प्राप्त होती है। आलस्य, प्रमाद आदि नहीं होते। संपूर्ण शरीर को निरोगी बनाता है। दिशा : चूँकि चंद्रमा की ऊर्जा एवं उससे होने वाले लाभ को आत्मसात् करना है। अतः जिस दिशा में चंद्र का उदय हो उसी दिशा का चयन करना चाहिए।
*शशांक आसन – शशांक अर्थात चन्द्रमा भी होता हैं,यह आसन उदर संबंधी रोगों से छुटकारा दिलाता है।* मेरुदण्ड के विकार दूर करता हैं। महिलाओं के वस्ति-प्रदेश को लाभ पहुँचाता है। रक्त संचार प्रणाली को सुचारु करता है। मानसिक विकार दूर होते हैं। वायु विकार का शमन करता है।प्रजनन अंग के विकारों को ठीक करता है। सावधानी : अति उच्च रक्तचाप वाले इस आसन को न करें।
पूर्णिमा की रात्रि का ध्यान काफी प्रचलित है। चन्द्रमा और आध्यात्मिक क्रियाओं के बीच में गहरा संबंध है। पूनम की रात को चन्द्रमा की रोशनी में किया हुआ ध्यान अति मनमोहक और गहरा होता है। चन्द्रमा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। चाहे कोई त्यौहार हो अथवा किसी कार्य का शुभारम्भ करना हो, प्राचीन काल में सब कुछ चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार तय होता था। उदाहरण के लिए ईद, गुरु पूर्णिमा और होली इत्यादि त्यौहार की तिथि चन्द्रमा की तिथि पर निर्धारित हैं। पूर्णिमा की रात्रि को धरती से चन्द्रमा सम्पूर्ण चमकता, दमकता दिखाई देता है। इस दिन पृथ्वी सूर्य और चंद्र के बीच में होती है और तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं।
विभिन्न संस्कृतियों में पूर्णिमा का महत्व अलग-अलग प्रकार से समझाया गया है। कुछ में इसे धार्मिक व आध्यात्मिक पथ से जोड़ा गया है और कुछ में इसे मात्र समय का सूचक माना गया है। भारत में प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा का मुख्यतः प्रभाव सृष्टि में जल के प्रवाह पर होता है। बौद्धधर्मी इसे आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने का सूचक मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा का चाँद हमारे मन और चित्त पर प्रभाव डालता है, अतः इसे उन्माद का कारण भी समझा जाता है।