Ramleela: सीएम अरविंद केजरीवाल ने लालकिला के पास आयोजित रामलीला कार्यक्रम में शामिल होकर मंचन का उठाया लुत्फ

CM Arvind Kejriwal participated in the Ramlila program organized near Red Fort and enjoyed the staging.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के महापर्व विजयादशमी पर लालकिला के पास स्थित मैदान में आयोजित भव्य रामलीला मंचन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान सीएम ने रामलीला मंचन का लुत्फ लिया और तीर चलाकर बुराई के प्रतीक रावण का प्रतिकात्मक वध किया। सीएम ने दशहरा पर्व की सभी को बधाई देते हुए कहा कि मैं आपके बेटे और भाई की तरह आपकी सभी समस्याओं का समाधान करने पूरी कोशिश करता हूं। भगवान श्रीराम हमारे लिए आदर्श हैं, हमें उनके जीवन और आदर्श से बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा कि हमारे हिन्दू धर्म में रामराज्य की परिकल्पना की गई है। रामराज्य तो बहुत ऊंची चीज है, लेकिन हम भगवान श्रीराम के आदर्शों से सीखकर जो कुछ भी कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि दिल्ली में कोई भूखा न रहे, हर तबके को मुफ्त और 24 घंटे बिजली, शानदार शिक्षा और इलाज मिलना चाहिए।
इससे पहले रामलीला आयोजन कमेटी ने भगवान गणेश जी का प्रतीक चिन्ह, गदा और शॉल देकर सीएम अरविंद केजरीवाल का स्वागत किया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने जय श्रीराम का नारा देते हुए दिल्ली और देशवासियों को दशहरा, दीपावली और छठ समेत सभी पर्वों की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा कि भगवान सभी के घर में खूब सुख-शांति और धन दें और सभी को स्वस्थ्य रखें। हमें भगवान श्रीराम के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने रामायण का एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब भगवान राम का अगले दिन सुबह राज्याभिषेक होने वाला था, उससे पहले शाम को उनके पिता दशरथ भगवान राम को अपने कक्ष में बुलाते हैं। वहीं माता कैकेई भी बैठी थीं। माता कैकेई ने राजा दशरथ से वचन मांगा है कि भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास दिया जाए। महाराज दशरथ दुख में बहुत ही गमगीन हैं। उन्होंने भगवान राम को 14 वर्ष के वनवास पर जाने के लिए कहा। अयोध्या की जनता भगवान राम को बहुत प्यार करती थी। अगर भगवान राम वनवास जाने से मना कर देते और कहते कि मैं कल राजा बनूंगा तो सारी जनता भगवान राम का साथ देती। लेकिन भगवान राम ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने खुशी-खुशी मुस्कुराते हुए अपने पिता को कहा कि आप दुखी मत हों। माता कैकेई ने जो वचन मांगा है, उसे मैं पूरा करूंगा और भगवान राम मुस्कुराते हुए वनवास के लिए चले गए। ऐसे हमारे भगवान राम थे। वो बिल्कुल निःस्वार्थ और अपने पिता की आज्ञा मानने वाले थे। आज के जमाने में अगर कोई पिता अपने बेटे को ऐसा करने के लिए कहे तो कोई नहीं करने वाला है। इसलिए भगवान श्रीराम हमारे लिए आदर्श हैं। हमें उनके जीवन-आदर्श से बहुत कुछ सीखना है।

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