Delhi: गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़ा निस्तारण में धीमी प्रगति से सीएम केजरीवाल नाखुश, दो और एजेंसी तैनात करने के निर्देश
CM Kejriwal unhappy with slow progress in garbage disposal from Ghazipur landfill site, instructions to deploy two more agencies
दिल्ली को कूड़े के पहाड़ों से मुक्ति दिलाने को लेकर बेहद गंभीर सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़ा हटाने की प्रगति पर नाखुशी जताई है। उन्होंने तय टारगेट को समय से पूरा करने के लिए एमसीडी को दो और एजेंसी तैनात करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को गाजीपुर लैंडफिल साइट का स्थलीय निरीक्षण के दौरान सीएम ने पाया कि यहां से अब 15 लाख टन कूड़े का निस्तारण हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी 5.25 लाख टन कूड़ा ही हटाया जा सका है। सीएम ने कहा कि आज ग़ाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर चल रहे कूड़ा हटाने के काम को देखा। यहां काम धीमा चल रहा है, जो संतोषजनक नहीं है। इस साइट पर तीन एजेंसी तैनात हैं और उनके बीच झगड़े चल रहे हैं। इसलिए कार्य की प्रगति संतोष जनक नहीं है। इस दौरान एमसीडी की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय, विधायक दुर्गेश पाठक व कुलदीप कुमार समेत एमसीडी के अफसर मौजूद रहे।

गाजीपुर लैंडफिल साइट का स्थलीय दौरा करने के उपरांत सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर करीब 80-90 लाख टन कूड़ा है। यहां कूड़ा निस्तारण की गति बहुत धीमी है। तय टारगेट के मुताबिक अभी तक गाजीपुर लैंडफिल साइट से 15 लाख टन कूड़े का निस्तारण हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक 5.25 लाख टन कूड़ा ही उठाया जा सका है। यहां कूड़े के निस्तारण की गति धीमी होने के पीछे वजह बताई जा रही है कि तीन कंपनियों का ज्वाइंट वेंचर है। जब से कूड़े का निस्तारण शुरू हुआ है, तभी से इन तीनों कंपनियों के बीच खूब झगड़े चल रहे हैं और कार्य की प्रगति संतोष जनक नहीं है।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एमसीडी ने यहां कूड़ा निस्तारण के लिए एक और कंपनी हायर करने का प्लान बनाया है। लेकिन मैने कूड़ा निस्तारण की गति धीमी देखते हुए एक के बजाय दो कंपनियों को हायर करने का निर्देश दिया है, ताकि कूड़ा निस्तारण में तेजी आ सके और जल्द से जल्द कूड़े को साफ कर सके। लेकिन दिक्कत ये आ रही है कि किसी भी बड़े प्रोजेक्ट का कांट्रैक्ट देने के लिए एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी की जरूरत पड़ती है।

अभी एल्डरमैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित है, जो स्टैंडिंग कमेटी के लिए वोटिंग करेंगे। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा, वैसे ही स्टैंडिंग कमेटी का गठन होगा। इसके बाद दो नई एजेंसी को हायर किया जा सकेगा। उस वक्त ये भी फैसला लिया जाएगा कि मौजूदा तीनों एजेंसियों को रखना है या नहीं रखना है।