Books fair: प्रिंट के इतिहास से लेकर सायबर जगत जैसे विविध विषयों के साथ आकर्षण का केंद्र बना गोमती पुस्तक महोत्सव

Gomti Book Festival became the center of attraction with various topics ranging from the history of print to the cyber world

गोमती पुस्तक महोत्सव शुरू से ही साहित्यकारों, लेखकों, विचारकों और बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां आयोजित होने वाली गतिविधियों में प्रतिदिन करीब दो हजार बच्चे भाग ले रहे हैं। विभिन्न विद्यालयों से आने वाले बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की कार्यशालाएं और सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जो उनमें रचनात्मकता और संचार कौशल विकसित कर पढ़ने की संस्कृति विकसित कर रहे हैं। आपकी कहानी, मेरे शब्द 12 नवंबर को गोमती पुस्तक महोत्सव में बच्चों के लिए बनाए गए विशेष मंडप ‘शब्द संसार’ के मंच पर ‘आपकी कहानी, मेरे शब्द: कहानी सुनें’ विषय पर पहला सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में सीमा वाही मुखर्जी ने रोचक कहानी सुनाते हुए बच्चों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सीमा जी ने बच्चों से उनकी पसंदीदा कहानियों और उनके पसंदीदा पात्रों के नाम भी बताए। उन्होंने ‘इंद्रधनुष की किंवदंती’ नामक कहानी सुनाई और बच्चों से इंद्रधनुष के रंगों के बारे में पूछा। उन्होंने कुछ बच्चों को इंद्रधनुष के रंगों का रूप भी दिया और सभी रंगों को एक गीत का रूप देकर बच्चों से उसे गवाया। बच्चों ने इस सत्र का खूब आनंद उठाया। डिजिटल माध्यम से पुस्तकों तक पहुँच

12 नवंबर को गोमती पुस्तक महोत्सव के ‘शब्द संसार’ मंच पर आयोजित दूसरे सत्र में राष्ट्रीय ई-लाइब्रेरी पर ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को बताया गया कि वे राष्ट्रीय ई-लाइब्रेरी ऐप पर उपलब्ध पुस्तकों को निःशुल्क पढ़ सकते हैं।

कथक के माध्यम से व्यक्तित्व विकास

शब्द संसार के तीसरे सत्र का विषय ‘कथक के माध्यम से व्यक्तित्व विकासः आत्मविश्वास जागृत करें’ बहुत रोचक रहा। इस सत्र में लखनऊ घराने की डॉ. विष्णुप्रिया पांडे ने बच्चों को बताया कि कथक हमें धैर्य, निरंतरता और पूर्णता सिखाता है।

उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि कथक एक ऐसी कला है जो व्यक्तित्व विकास में भी सहायक है। उन्होंने कहा कि ‘अगर आप अपने संचार पर काम करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने विचारों पर काम करना होगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि अनुभव, ज्ञान और अवलोकन के माध्यम से मन में विचार विकसित होते हैं। बच्चों को शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा कि ‘कभी भी अपनी तुलना दूसरों से न करें, खुद से तुलना करें और खुद को बेहतर बनाएं।’

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