Jaipur: मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन
Two-day training and workshop organized on effective implementation of Mission Vatsalya Scheme
बाल संरक्षण केन्द्र, सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दण्ड न्याय विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर राज्य एवं जिला स्तरीय हितधारकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण संस्थान (सीडीटीआई), जयपुर में किया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रमुख हितधारकों के बीच समन्वय एवं जवाबदेही बढ़ाना है, ताकि मिशन वात्सल्य योजना का समग्र क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर राज्य एवं जिला स्तरीय हितधारकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति, सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा एवं दण्ड न्याय विश्वविद्यालय जोधपुर डॉ. आलोक त्रिपाठी आईपीएस ने किया। अपने संबोधन में डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि मिशन वात्सल्य एक बहुत ही महत्वपूर्ण सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा, कल्याण एवं सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना है। उन्होंने योजना के तहत परिवार आधारित गैर-संस्थागत देखभाल के महत्व को रेखांकित किया, ताकि कठिन परिस्थितियों में बच्चों को सहयोग मिल सके और उनका संस्थागतकरण अंतिम उपाय के रूप में अपनाया जा सके।डॉ. त्रिपाठी ने यह भी कहा कि योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बहु-हितधारकों के बीच समन्वय और जिम्मेदारी की भावना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी के साथ बच्चों की सुरक्षा और विकास के लिए एक मजबूत और संवेदनशील तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया। कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि सीडीटीआई के निदेशक डॉ. अमनदीप सिंह कपूर आईपीएस ने अपने संबोधन में क्षमता निर्माण और अभिसरण पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच एकीकृत और समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। क्षमता निर्माण के माध्यम से सभी हितधारकों को न केवल मिशन वात्सल्य के उद्देश्यों को समझना चाहिए, बल्कि उन्हें योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से भी लैस किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अभिसरण, यानी विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच सामंजस्य और सहयोग, बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ. कपूर ने इस पहल के लिए पुलिस विश्वविद्यालय और बाल संरक्षण केंद्र को धन्यवाद दिया। इसमें लगभग 170 प्रतिभागियों, बाल कल्याण समितियों, जिला बाल संरक्षण इकाइयों, पुलिस एवं एएचटीयू, उपखंड मजिस्ट्रेट एवं सहायक जिला मजिस्ट्रेट, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल देखभाल संस्थान, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग, राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, श्रम विभाग, नगर निगम, महिला एवं बाल विकास विभाग, परियोजना सहयोगी संस्थाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। बाल संरक्षण केंद्र, सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दंड न्याय विश्वविद्यालय पिछले 9 वर्षों से लगातार इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यशाला के दौरान राज्य एवं जिला स्तरीय बाल कल्याण समितियों, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा विषय विशेषज्ञ श्री अनंत कुमार अस्थाना एवं सुश्री कृणा शाह से योजना के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों एवं उनके समाधान पर चर्चा की तथा विषय विशेषज्ञों ने उनके समाधान हेतु अपने अनुभव साझा किए।