Defence: सशस्त्र बलों में वित्तीय सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने पर नई दिल्ली में सम्मेलन आयोजित
Conference on enhancing financial cohesion and synergy in Armed Forces held in New Delhi
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भू-राजनीतिक गतिशीलता और तकनीकी प्रगति से प्रेरित युद्ध की प्रकृति और चरित्र में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण वित्तीय प्रक्रियाओं में बदलाव को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया है। वे 5 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में सशस्त्र बलों से संबंधित वित्तीय मामलों में सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने पर शीर्ष स्तरीय सम्मेलन में मुख्य भाषण दे रहे थे। सीडीएस ने कहा कि ऐसे बदलावों ने एक गैर-रेखीय और गैर-पूर्वानुमानित विकास लाया है। जनरल अनिल चौहान ने सभी हितधारकों से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करते हुए भारत के सामरिक हितों की रक्षा के लिए सामंजस्य और तालमेल से काम करने का आह्वान किया, जो कि विकसित भारत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
सम्मेलन में सेवा मुख्यालयों के उप प्रमुखों के साथ-साथ सेवा मुख्यालय, तटरक्षक मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय अधिग्रहण, रक्षा मंत्रालय वित्त, सीजीडीए और सभी प्रमुख एकीकृत वित्तीय सलाहकारों के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन का संचालन आईडीएस मुख्यालय द्वारा किया गया और इसमें सभी वित्तीय सिद्धांतों का पालन करते हुए रक्षा खरीद में दक्षता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में, एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख (पीपी एंड एफडी) वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने रक्षा खरीद की पेचीदगियों को सामने लाकर चर्चाओं की गति निर्धारित की। वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएँ) श्री सुगाता घोष दस्तीदार ने रक्षा में अनुसंधान और विकास के लिए शिक्षाविदों के साथ अधिक सहयोग सुनिश्चित करते हुए विदेशी निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने पर जोर दिया।
सम्मेलन में सभी हितधारकों ने अपने दृष्टिकोण रखे और सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। सेवा मुख्यालयों ने सार्वजनिक खरीद में अपनी-अपनी चुनौतियों के बारे में जानकारी दी और उनसे निपटने के तरीकों पर चर्चा की गई। पीआईएफए ने पूंजी और राजस्व खरीद के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय रूप से भाग लिया। वित्त मंत्रालय द्वारा सकारात्मक सुझाव और सिफारिशें प्रस्तुत की गईं। सम्मेलन के कुछ प्रमुख परिणामों में परिणामोन्मुखी बजट, शीघ्र खरीद और वित्तीय औचित्य का महत्व शामिल था। इन प्रमुख सुझावों को अनुमोदन के लिए रक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा।