Delhi: संसाधनों के व्यापक इस्तेमाल के लिए संस्थानों का एक मंच पर आना जरूरी: प्रो. योगेश सिंह

It is necessary for institutions to come together on one platform for wider utilization of resources: Prof. Yogesh Singh

अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय और श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च (श्रीराम साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन की एक इकाई) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित हुआ। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यायल के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि आज के बदलते दौर में संस्थानों को संसाधनों के व्यापक इस्तेमाल के लिए एक मंच पर आना जरूरी है। संसाधनों और विशेषज्ञताओं के आदान-प्रदान से उनका प्रयोग व्यापक लाभ के लिए हो सकता है। इस एमओयू पर डीयू की ओर से कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता प्रथम पक्ष और एसआरआई के ओर से वहाँ के निदेशक ने द्वितीय पक्ष के रूप में अधिकृत प्रतिनिधियों के तौर पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू प्रारंभ में पांच वर्षों की अवधि के लिए लागू रहेगा और बाद में लिखित रूप में दोनों पक्षों की आपसी सहमति से इसे नवीनीकृत किया जा सकता है। इस एमओयू के तहत डीयू और एसआरआई ने साझा सुविधाओं और विशेषज्ञता के क्षेत्रों में अनुसंधान परियोजनाओं, प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं/सम्मेलनों सहित संयुक्त गतिविधियों के लिए सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके तहत दोनों संस्थान एक-दूसरे के संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं और विशेषज्ञता को साझा कर सकेंगे।

इस समझौता ज्ञापन के तहत एसआरआई के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक कर्मचारी दिल्ली विश्वविद्यालय का दौरा कर सकेंगे और पारस्परिक रूप से डीयू के शिक्षक, विद्यार्थी और शोधकर्ता एसआरआई का दौरा कर सकेंगे, जिससे दोनों संस्थानों के बीच सुविधाओं और विशेषज्ञताओं को साझा करने के लिए सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत दोनों संस्थान सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाएं शुरू कर सकते हैं। एसआरआई और डीयू संयुक्त रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए अन्य सहयोगी परियोजनाओं या असाइनमेंट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। एसआरआई के रिसर्च स्कॉलर/वैज्ञानिक पीएचडी के लिए डीयू में पंजीकरण करवा सकते हैं। पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों के अनुसार डीयू के संबंधित विभाग के एक संकाय सदस्य और एसआरआई के एक अन्य संकाय सदस्य को पर्यवेक्षक के रूप में रखा जाएगा। वहीं एसआरआई के वैज्ञानिक डीयू के विद्यार्थियों के लिए पीएचडी गाइड भी बन सकते हैं।

इस एमओयू के तहत डीयू और एसआरआई आपसी लाभ के लिए संयुक्त रूप से कार्यशाला/सेमिनार आयोजित कर सकते हैं और किसी भी पक्ष के अनुरोध पर संबंधित वैज्ञानिक/संकाय द्वारा विशेषज्ञता के क्षेत्रों में एक-दूसरे के संस्थानों के विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों और वैज्ञानिकों को अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान कर सकते हैं। एसआरआई अनुसंधान एवं विकास, पायलट संयंत्र और नवाचार सहायता, विषविज्ञान अध्ययन और सूक्ष्मजैविक अध्ययन, सिविल एवं बुनियादी ढांचा, पर्यावरण संरक्षण, गामा विकिरण प्रसंस्करण, उपकरण/ औज़ारों का कैलिब्रेशन और टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेशन के क्षेत्रों में डीयू के विद्यार्थियों/ शोधार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है। गौरतलब है कि एसआरआई एक स्वतंत्र, आत्मनिर्भर, गैर-लाभकारी बहु-विषयक अनुबंध अनुसंधान संस्थान है जो उद्योग, सरकार और अन्य संगठनों के लिए विशेष महत्व के क्षेत्रों में विकास एवं अनुसंधान करता है। एसआरआई ने 1950 में अपना परिचालन शुरू किया और अपने अस्तित्व के 73 वर्षों में इसने व्यावहारिक अनुसंधान प्रदान करके अपनी उपयोगिता साबित की है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पाद विकास, समस्या निवारण, विश्वसनीय उत्पाद और कच्चे माल की गुणवत्ता का मूल्यांकन आदि हुआ है। लगातार उभरते और संशोधित होते हुए समाज की प्रवृत्तियों और आवश्यकताओं के अनुसार, एसआरआई ने विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में कदम रखा है।

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