Narendra Modi: वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए समाधान उपलब्ध कराने हेतु कार्य कर रहा भारत

India working to provide solutions for global food security

नई दिल्ली, 03 अगस्त (वेब ​​वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत खाद्य अधिशेष वाला देश बन गया है और वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहा है। खाद्य अधिशेष का मतलब है कि देश में खपत से ज्यादा भोजन उपलब्ध है। भारत में 65 साल बाद आयोजित हो रहे कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का आम बजट 2024-25 पर्यावरण अनुकूल खेती पर केंद्रित है। मोदी ने कहा कि पिछली बार जब भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी, तब उसे आजाद हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था और वह दौर देश में कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा, “भारत अब खाद्य अधिशेष वाला देश है। यह दुनिया में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा भारत खाद्यान्न, फल, सब्जियां, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “एक समय था जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का विषय थी। अब, भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है।” मोदी ने कहा कि इसलिए खाद्य प्रणाली परिवर्तन पर चर्चा के लिए भारत का अनुभव मूल्यवान है और इससे वैश्विक दक्षिण को लाभ होगा। कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के 70 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह त्रिवार्षिक सम्मेलन ‘अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ’ द्वारा 2 से 7 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “पर्यावरण के अनुकूल कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर” है। प्रधान मंत्री ने ‘विश्व बंधु’ के रूप में वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’, ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य’ सहित विभिन्न मंचों पर भारत द्वारा प्रस्तुत विभिन्न मंत्रों पर प्रकाश डाला। मोदी ने कहा कि भारतीय कृषि में 90 प्रतिशत किसानों के पास बहुत छोटी भूमि है और ये छोटे किसान भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। इसका उद्देश्य युवा शोधकर्ताओं और अग्रणी पेशेवरों को अपना काम प्रस्तुत करने और वैश्विक समकक्षों के साथ नेटवर्क बनाने के लिए एक मंच प्रदान करना है। पीएम ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जलवायु परिवर्तन से कम संवेदनशील फसलों की 1,900 नई किस्में प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। मोदी ने कहा कि देश पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है।” सम्मेलन वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को उजागर करेगा और कृषि अनुसंधान और नीति में देश की प्रगति को रेखांकित करेगा।

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