Uttar Pradesh: हाथरस भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 121 हुई: सीएम ने घटनास्थल का दौरा किया, घायलों से बात की
Death toll in Hathras stampede rises to 121: CM visits the spot, talks to injured
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में भोले बाबा सत्संग में कल हुई दिल दहला देने वाली भगदड़ में मरने वालों की संख्या बुधवार सुबह 121 हो गई। मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य अज्ञात आयोजकों और सेवादारों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। मंगलवार को स्थानीय प्रवचनकर्ता नारायण साकर विश्व हरि उर्फ भोले बाबा द्वारा आयोजित सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटनास्थल पर जांच करने और घायलों और मृतकों के परिजनों से मिलने यहां पहुंचे। मुख्यमंत्री सुबह करीब 11.15 बजे हाथरस पहुंचे और सीधे अस्पताल गए जहां घायलों को भर्ती कराया गया था। उन्होंने उनसे संक्षिप्त बातचीत की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। उन्होंने मृतकों के कुछ परिजनों से भी मुलाकात की।
बाद में वे सर्किट हाउस पहुंचे और अधिकारियों से बात की। सीएम ने भारी बारिश के बीच अधिकारियों के साथ घटनास्थल का भी दौरा किया। घटना में 5 और लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या 116 से बढ़कर 121 हो गई है। मृतकों की संख्या में वृद्धि की पुष्टि राज्य मंत्री संदीप सिंह ने मीडिया के समक्ष की। भगदड़ में 28 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मृतकों में 114 महिलाएं और 7 पुरुष शामिल हैं। कुल 19 शवों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। मंगलवार देर रात पुलिस ने सिकंदराराऊ थाने में आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य अज्ञात आयोजकों और सेवादारों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। हालांकि, पुलिस ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि किसी आयोजक को हिरासत में लिया गया है या नहीं।
एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत दर्ज की गई है। एफआईआर के अनुसार, कार्यक्रम में 2.5 लाख लोग शामिल हुए थे, लेकिन आयोजकों ने 80,000 लोगों के कार्यक्रम की अनुमति ली थी। इसके अलावा आयोजकों की ओर से यातायात प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। सूत्रों ने बताया कि भगदड़ में घायल हुए लोगों के जूते सबूत छिपाने के इरादे से बगल के मैदान में फेंक दिए गए। कार्यक्रम स्थल से बेकाबू भीड़ के जाने के कारण जमीन पर बैठे श्रद्धालु कुचल गए।
सड़क के दूसरी ओर पानी और कीचड़ से भरे खेतों में दौड़ रही भीड़ को आयोजन समिति ने लाठी-डंडों से जबरन रोका, जिससे भीड़ का दबाव बढ़ता गया और महिलाएं, बच्चे और पुरुष कुचलते रहे। मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हर संभव प्रयास किया और उपलब्ध संसाधनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आयोजकों की ओर से कोई सहयोग नहीं किया गया। पुलिस उपनिरीक्षक की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि घटना के समय मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हरसंभव प्रयास किया और घायलों को उपलब्ध संसाधनों से अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आयोजकों की ओर से कोई सहयोग नहीं किया गया।