छठी वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट में करीब 70 देशो से उमड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अपने अनुभवों एवं सुझावों से इस महासम्मेलन को विश्व भर के लिए के यादगार बना दिया। इस से महासम्मेलन से निकलने वाले अमृत का लाभ आपदाओं से त्रस्त दुनिया के देशों को निश्चित रूप से होगा। यह उदगार आज ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली कनवेंशन सेंटर में आयोजित महासम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने व्यक्त किए। उन्होंने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पटल पर आपदा प्रबंधन एवं प्राकृतिक आपदाओं से जूझने एवं उनका सामना करने के लिए मुख्य रूप से आयोजित किए गए इस महासम्मेलन में जिस तरह देश विदेश के 70 से ज्यादा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने आपदाओं से होने वाली क्षति को रोकने के लिए मंथन किया है, उससे निश्चित रूप से विश्व के सभी देशों को लाभ होगा।राज्यपाल ने कहा कि इस मंथन से प्राप्त अमृत सभी देशों में जाएगा, इससे विभिन्न तरह की आपदाओं का सामना वे अधिक दक्षता से कर सकेंगे। समूचे विश्व में समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। उत्तराखंड राज्य में ऐसी आपदाएं समय-समय पर आ चुकी हैं और बड़ी चुनौतियां खड़ी कर देती हैं, लेकिन इन्हें चेतावनी के रूप में स्वीकार करते हुए सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी और केदारनाथ में जहां वर्ष 2012 और 2013 की प्राकृतिक आपदाओं ने भारी क्षति पहुंचाई थी, वहीं कई अन्य घटनाओं ने समस्याओं को हमारे सामने चुनौतियों के रूप में समय-समय पर खड़ा किया है। ऐसी चुनौतियों का का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ( सेवानिवृत ) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपदा के मामलों में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने त्वरित गति से कार्य किए हैं जिससे पीड़ित के दुख दर्द कम करना संभव हुआ है। राज्यपाल ने जी-20 सम्मेलनों का भी जिक्र किया और उसके लिए केंद्र सरकार के कदमों की सराहना की । हाल ही में सिलक्यारा सुरंग के हादसे में भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड की सरकार द्वारा तत्काल राहत बचाव के कार्य किए गए और आखिरकार उसमें 17 दिन बाद कामयाबी मिल पाई। इस अवसर पर अंडमान निकोबार के राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी ने सम्मेलन में 70 देश के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के मंथन को पूरी तरह से सफल बताते हुए कहा कि आपदाओं को हम कम तो नहीं कर सकते लेकिन उनका सामना करने की रणनीति अपनाकर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और आपदाओं को ज्यादा फैलने से रोका जा सकता है।राज्यपाल ने कहा कि छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का मूल उद्देश्य हिमालययी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु व आपदा प्रबंधन की चुनौतियों पर चर्चा करके समाधान सुझाना है। इससे उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय शोध व समाधान केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बल मिलेगा। आठ दिसंबर से दून में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले यह आयोजन विदेश में ’सुरक्षित निवेश, सुदृढ़ उत्तराखंड’ की धारणा को पुष्ट करेगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री श्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा कवच के रूप में त्वरित उपाय समय-समय पर किए गए हैं जिसके लिए केंद्र सरकार निश्चित रूप से बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यदि रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता भूकंप अथवा आपदा आती है, तो उससे अब पहले की तरह बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा क्योंकि सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़कर सुरक्षात्मक कार्यों को किया है।
केंद्रीय मंत्री श्री रिजिजू ने कहा कि बदलते परिवेश में हम आज भारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, 40 वर्ष पूर्व जहां बर्फीली पहाड़ियों थी, आज वे पहाड़ियां अधिकतर बिना बर्फ वाली बन गई है, जो कि हमारे सामने बड़ी चुनौती एवं समस्या है। उन्होंने कहा कि अब जो खतरनाक आपदा संबंधित परिस्थितियों आने वाली हैं। उसके लिए हमें तैयार रहना होगा। भविष्य के मौसम को समझ कर हम सभी को सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में जो महासम्मेलन हुआ है, उसके निष्कर्ष को विदेशों में पहुंचना है और यही हमारे लिए बड़ी सफलता होगी। महासम्मेलन में राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड की सरकार ने राज्य में आने वाली आपदाओं का सामना जीरो ग्राउंड पर रहकर किया है, यह बहुत सराहनीय है। उत्तराखंड राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत और कार्यक्रम के संयोजक आनंद बाबू ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए।