Editorial: राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2023 का आगाज़ – मीडिया की स्वतंत्रता जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला है
National Press Day 2023 begins - Media freedom is the cornerstone of a vibrant democracy
वैश्विक स्तरपर आज डिजिटाइजेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित प्रौद्योगिकी के बढ़ते नए-नए आयाम के बीच एक ओर जहां प्रिंट मीडिया के लिए चुनौतियां अति तेजी के साथ है बढ़कर उन्हें विलुप्तता की ओर धकेले जा रही है तो वहीं इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के लिए भी चुनौतियां खड़ी हो गई है। जहां एक और फेक न्यूज़ का प्रचलन बढ़ते हुए कठिनाइयां एवं पत्रकारों, संपादकों सहित मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति के लिए परेशानियां खड़ी कर रही है, तो दूसरी ओर बढ़ती ग्राउंड रिपोर्टिंग से पारदर्शिता का स्तर ऊंचाइयां छू रहा है जिसमें पत्रकारों से लेकर मीडिया हाउसेस के मालिकों तक और शासकीय स्तर पर चपरासी से लेकर मंत्री तक तथा राजनीतिक स्तरपर कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री तक हर व्यक्ति आज मीडिया के घेरे में आ गया है, चाहे फिर प्रिंट इलेक्ट्रानिक या सोशल मीडिया हो जिससे मीडिया हाउसों की जवाबदारियां फेक न्यूज़ के चलते बढ़ गई है, क्योंकि लोकतंत्र की आधारशिला और चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। चूंकि आज 16 नवंबर 2023 को अनेक स्थानों सहित दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय प्रेस दिवस बड़ी संजीदगी के साथ मनाया गया है इसलिए आज हम मीडिया पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे मीडिया के उच्चतम मानकों को बनाए रखनें तथ्यों विश्वसनीय स्रोतों, सत्यापन और संपादकीय स्वतंत्रता को बनाए रखना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम भारत में निर्भीक और स्वतंत्र जिम्मेदार पत्रकारिता की करें तो, इसके मुख्य कार्य लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करना, समाज की गतिविधियों का आकलन करना, जनता की तकलीफों को शासन तक पहुंचाना, शासकीय, निष्क्रियता, भ्रष्टाचार, असहिष्णुता, गैर जिम्मेदारी को ऊजगार कर जनता के सामने रखना ताकि ऐसे शासकीय अधिकारियों, राजनेताओं को जनता सबक सिखाएं और जनता जनार्दन ही शासन व सत्ता की मालिक है ऐसा एहसास आए, इसलिए ही संपूर्ण भारत में दिनांक 16 नवंबर 2023 को राष्ट्रीय पत्रकारितादिवस बड़ीसंजीदगी के साथ मनाया गया।
साथियों बात अगर हम 16 नवंबर 2023 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में मनाए गए राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2023 के उद्घाटन सत्र में माननीय उपराष्ट्रपति के संबोधन की करें तो, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मीडिया को राजनीति का हिस्सा या हितधारक नहीं होना चाहिए, मीडिया को लोकतंत्र की ताकत होना चाहिए, कमजोरी नहीं। मीडिया को राजनीतिक भागीदारी से बचना चाहिए ताकि प्रगतिशील मीडिया हमारे लोकतंत्र में सच्चाई और जवाब देही का प्रतीक बना रहे।उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि फेक न्यूज़ शब्द जितना आज सुना जा रहा है उतना इससे पहले कभी नहीं सुना। मीडिया की कम होती विश्वसनीयता को सबसे बड़ी चुनौती बताया और सोशल मिडिया का भ्रामक खबरें फैलाने के उपयोग पर चिंता व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि भारत के उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस, 2023 के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और समारोह को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि मीडिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह सच बताए। उन्होंने कहा कि मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह समाज को सच बताए चाहे वह पत्रकार हो, अखबारों से जुड़ा हो या संचार माध्यमों से जुड़े लोग हों। उन्होंने कहा कि अविश्वसनीय और गलत खबरों ने समाज में मीडिया के विश्वास को कम किया है। आगे कहा कि हमें बदलते हुए समय के साथ बदलना होगा और अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी अपनाना होगा लेकिन इसके साथ ही उसके दुरुपयोग से भी अपना बचाव करना होगा।उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया संगठनों को पत्रकारिता की नैतिकता निष्पक्ष रिपोर्टिंग और तत्वों को जानने के जनता के अधिकार के प्रति अटूट समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता की वचनबद्धता को निभाना चाहिए ताकि जनता को सच का पता चल सके। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया तकनीकी परिवर्तनो से और उनसे जुड़ी चुनौतियों से निपटने में हमेशा सक्षम रहा है, हाल की तकनीकी प्रगति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी जैसे नवाचारों ने नई चुनौतियां पेश की हैं,इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना होगा।उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष का विषय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया सामायिक और बहुत ही महत्वपूर्ण है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमारे सूचना और मनोरंजन के तौर तरीकों को बदल दिया है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बनता चला जा रहा है। लोकतंत्र में मीडिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया सूचना प्रदाता के साथ-साथ लोकतंत्र की आधारशिला रहा है और चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका अदा करता रहा है। मीडिया ने सच के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका अदा की है, मीडिया बेजुबानों की आवाज उठाने के लिए सदैव तत्पर रहा है और सत्ता में बैठे लोगों का निगरानी करता रहा है।उन्होंने कहा आज सूचना की भरमार है और ऐसे में पत्रकार और मीडिया घराने ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखें, तथ्यों और विश्वसनीय स्रोतों तथा सत्यापन और संपादकीय स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए आज यह पहले से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने मीडिया में गलत सूचना के प्रसार, डीप फेक, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और समाज में अराजकता और अस्थिरता पैदा करने जैसी चुनौतियों से निपटने पर ज़ोर दिया। आगे कहा कि आज के परिपेक्ष में पत्रकारों और मीडिया के लोगों की जिम्मेदारियां और भी बढ़ गई हैं ।उपराष्ट्रपती ने किसी भी सूचना को प्रसारित करने से पहले मीडिया संगठन और मीडिया से जुड़े लोगों को अत्यंत सावधानी और सतर्कता बरतने को कहा जिससे समाज में झूठ का ज़हर न घुल सके।
साथियों बात अगर हम भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाने को समझने की करें तो, भारत में प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। अगर प्रेस की ताकत को समझना हो तो अकबर इलाहाबादी की मशहूर पंक्तियां काफी कुछ बयां करती हैं. अकबर इलाहाबादी ने कहा है कि खींचो न कमान न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो। इन लाइनों से प्रेस की ताकत को अच्छे से समझा जा सकता है। आजादी के समय से लेकर अब तक भारत में प्रेस की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आजादी की जंग के दौरान प्रेस भारत के क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार रहा है। हर साल भारत में 16 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 16 दिसंबर की तारीख को ही क्यों चुना गया? भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पत्रकारिता के ऊंचे आदर्श स्थापित करने व प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने के उद्देश्य से 4 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी। लेकिन इस परिषद ने 16 दिसंबर 1966 से विधिवत तरीके से काम करना शुरू किया था, इस कारण हर साल 16 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रेस डे मनाया जाता है।भारतीय प्रेस परिषद याने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक वैधानिक निकाय है, जिसे मीडिया के संचालन की निगरानी का अधिकार मिला है। इसके एक अध्यक्ष होते हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज होते हैं। इसके अलावा 28 अन्य सदस्य होते हैं, जिनमें से 20 प्रेस से होते हैं, पांच संसद के दोनों सदनों से नामित होते हैं और तीन प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत में प्रेस को वॉच डॉग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉच डॉग कहा जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2023 का आगाज़ – मीडिया की स्वतंत्रता जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला है।लोकतंत्र की आधारशिला और चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका।मीडिया के उच्चतम मानकों को बनाए रखनें तथ्यों, विश्वसनीय स्रोतों, सत्यापन और संपादकीय स्वतंत्रता को बनाए रखना समय की मांग है।