Religion: जैन आचार्य लोकेश ने कोप28 ग्लोबल इंटरफेथ समिट को सम्बोधित किया

Jain Acharya Lokesh addressed COP28 Global Interfaith Summit

विश्व शांतिदूत जैन आचार्य डॉ लोकेश मुनि ने UAE के आबू धाबी शहर मे आयोजित कोप28 ग्लोबल इंतरफेथ शिखर सम्मेलन को “कोन्फ़्लुएन्स ऑफ़ क्योंसकिएन्स : यूनाइटिंग फेथ लीडर्स फॉर प्लेनेटरी रेसुरगेन्स” विषय पर संबोधित किया। अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केन्द्र  के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी ने मौजूदा समय में विश्व के सामने तीन बड़ी समस्याएं हैं – हिंसा एवं धार्मिक असहिष्णुता, गरीबी एवं असमानता और जलवायु परिवर्तन। आचार्य लोकेश जी ने कहा कि हमारा ग्रह एक अस्तित्वगत खतरे का सामना कर रहा है, और यह अनिवार्य है कि हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अभी कार्य करें। जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के लिए एक अंतर्धार्मिक आह्वान समय की मांग है। आचार्य लोकेश जी ने कहा कि हमें तत्काल नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए और अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करना चाहिए। यह न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मामला है, बल्कि ग्रह और इसके निवासियों के प्रति नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म दुनिया में सबसे अधिक पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाला धर्म है | भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सत्तजीवनिकाये सिद्धांत प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के बारे में बात करता है | जैन धर्म की अवधारणा अपने अनुयायियों को किसी भी प्राणी को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रतिबंधित करती है और अंततः सीमित संसाधनों के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा में सहायता भी करती है |

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का वीडियो संदेश इस अवसर पर प्रसारित किया गया। जिसमे उन्होंने कहा कि पृथ्वी को प्रदूषण से बचाना हमारी जिम्मेदारी है।

संयुक्त अरब के केंद्रीय मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान ने कहा स्वस्थ जीवन पाने के लिए हमें ताजा हवा, साफ पानी और स्वच्छ वातावरण की जरूरत है |

ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि एवं वैटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने कहा कि पर्यावरण एक अद्भुत प्रकृतिक उपहार है और हमें भविष्य में जीवन के लाभ के लिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है |

निष्काम सेवा ट्रस्ट, बर्मिंघम के भाई मोहिंदर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है जिसके लिए सामूहिक समाधान की आवश्यकता है। यह किसी एक क्षेत्र, देश या धर्म तक सीमित नहीं है। हम सबको मिलकर समाधान खोजना होगा।

कजाकिस्तान की सीनेट के स्पीकर मौलेन अशिम्बायेव, अल-अजहर के ग्रैंड इमाम प्रो. मोहम्मद अल-दुवेनी, कैंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेल्बी, माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के प्रमुख शिष्य स्वामी अमृतस्वरुपानंद पुरी, ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी, रूस के कुलपति डेकोन इल्या काशित्सिन, नेनबत्सुशु सम्पोज़ान मुरीओजुजी मंदिर के मुख्य महायाजक डॉ. कोरी योशिहिको, खाड़ी क्षेत्र में कॉप्टिक चर्च के एपिस्कोपल पादरी फादर मीना हन्ना बार्सम, यूनाइटेड किंगडम में ब्रह्मा कुमारीज़ की निदेशक सिस्टर मॉरीन गुडमैन, काकेशस के ग्रैंड मुफ़्ती शेख-उल इस्लाम अल्लाहशुकुर पशाज़ादेह, सतत विकास केंद्र के निदेशक जेफरी शेख , संयुक्त अरब अमीरात वार्ताकार एशिया अल शेही, इंटरफेथ पावर एंड लाइट अध्यक्ष सुसान हेंडरशॉट, स्वदेशी नेता कोलोराडो नदी भारतीय जनजाति दादी मोना पोलाका, विश्व चर्च परिषद के महासचिव प्रोफेसर डॉ. जेरी पिल्ले, इंडोनेशियाई काउंसिल ऑफ उलमा (एमयूआई) के अध्यक्ष के.एच. मुहम्मद चोलिल नफीस, यूनिवर्सल सिरिएक ऑर्थोडॉक्स चर्च के सर्वोच्च प्रमुख मोर इग्नाटियस एफ़्रेम II, इस्लामी दुनिया के महानिदेशक डॉ. सलेम बिन मोहम्मद अल मलिक, किंग हमाद ग्लोबल सेंटर के ट्रस्टी डॉ शेख अब्दुल्ला बिन अहमद अल खलीफा, मध्य अमेरिका के एंग्लिकन चर्च के आर्कबिशप जूलियो ई. मरे, संयुक्त राष्ट्र में बहाई, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रधान प्रतिनिधि एमएस. बानी दुग्गल, भाई सतपाल सिंह जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी सहित कई और दिगज्जों ने कप28 भाग लिया।

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