Delhi: हमारे पास कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं है, जिससे पता चल सके कि दिल्ली में किन स्रोतों से कितना प्रदूषण होता है- आतिशी

We do not have any official data to know how much pollution comes from which sources in Delhi - Atishi

जीएनसीटीडी अमेंडमेंट बिल आने के बाद से दिल्ली सरकार के अफसर लगातार जनहित के काम रोकने में लगे है। इसी कड़ी में डीपीसीसी के चेयरमैन अश्वनी कुमार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा कराई जा रही रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी में अड़चन लगा दी है। उन्होंने दिल्ली कैबिनेट के निर्णय को पलटते हुए आईआईटी कानपुर को बकाया राशि के भुगतान पर रोक लगा दी है। इसके चलते स्टडी का काम ठप हो गया है और दिल्ली सरकार को प्रदूषण के वास्तविक स्रोतों का डाटा मिलना बंद हो गया है। बुधवार को दिल्ली सचिवालय में सर्विसेज मंत्री आतिशी के साथ साझा प्रेसवार्ता कर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ये जानकारी दी। पयार्वरण मंत्री ने कहा कि सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर प्रदूषण के वास्तविक स्रोत का पता लगाने के लिए देश में पहली बार इस तरह की स्टडी कराने का फैसला लिया था। स्टडी पर 12 करोड़ खर्च होने हैं। इसमें से 10.60 करोड़ आईआईटी कानपुर को दिए जा चुके हैं। सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण का वैज्ञानिक विश्लेषण करने के लिए इस डाटा की जरूरत थी, ताकि उचित एक्शन लिया जा सके। लेकिन अश्वनी कुमार ने संबंधित मंत्री और कैबिनेट को बिना बताए दो करोड़ दिल्लीवालों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का निर्णय ले लिया।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए विंटर एक्शन प्लान के अंतर्गत कई कदम उठा रही है। इन पहलों की वजह से दिल्ली के प्रदूषण स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की गंभीर स्थिति के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने एक निश्चित समय पर प्रदूषण के वास्तविक सोर्स का वैज्ञानिक अध्ययन कराने का निर्णय लिया था। क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण के कई कारण बताए जाते हैं। जिसमें धूल, गाड़ियों, बायोमास बर्निंग और पराली समेत अन्य कारण शामिल हैं। दिल्ली सरकार ने ये पता लगाने का निर्णय लिया कि किस समय, किस इलाके में, किस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है। मसलन, दिल्ली के आनंद विहार, वजीरपुर, साउथ दिल्ली, नरेला और बवाना का एक्यूआई स्तर अलग-अलग है। ये इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जगहों पर प्रदूषण के अलग-अलग सोर्स अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण के विभिन्न कारणों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी करने का निर्णय लिया था। हमें मीडिया के माध्यम से पता चला है कि पिछले कुछ दिनों रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी का डाटा नहीं मिल रहा है और स्टडी बंद है। हमें सर्दियों में इस डाटा की सबसे ज्यादा जरूरत है, लेकिन स्टडी को बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली कैबिनेट ने रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी कराने का निर्णय लिया था, लेकिन डीपीसीसी के चेयरमैन अश्वनी कुमार ने स्वयं निर्णय लेते हुए स्टडी को बंद करवा दिया। स्टडी बंद करने से पहले उन्होंने संबंधित मंत्री कोई विचार-विमर्श नहीं किया और कैबिनेट के फैसले को पलट दिया। इस समय दिल्ली को इस वैज्ञानिक विश्लेषण की सबसे ज्यादा जरूरत है, ताकि वैज्ञानिक आधार पर एक्शन लिया जा सके। लेकिन ये दिल्ली के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समय हमारे पास यह सोर्स उपलब्ध नहीं है।

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