Yoga: नियमित योग का अभ्यास करने से हड्डियों का घनत्व बढ़ सकता है -योग गुरु महेश अग्रवाल
Practicing yoga regularly can increase bone density -Yoga Guru Mahesh Aggarwal
आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का खोखला होना है। हड्डियों पर ही हमारा पूरा शरीर टिका रहता है इसलिए हड्डियां जितनी अधिक मजबूत होंगी हमारा शरीर भी उतना ही अधिक हेल्दी और फिट रहेगा । हड्डियों के कमजोर होने से चलना फिरना बंद हो जाता है और इससे शारीरिक गतिविधि बंद हो जाती है जिससे मानसिक स्तर पर परेशानियां होने लगती हैं। कई बार हमारी बुरी आदतों की वजह से भी बोन्स कमजोर हो जाती हैं। कई लोग ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से ग्रसित हैं। इसमें अधिक महिलाएं हैं। बोलचाल की भाषा में इसे हड्डियों का खोखलापन भी कहा जाता है। हाइपरटेंशन और हार्ट डिसीज के बाद यह तीसरी बड़ी बीमारी है, जिससे भारतीय जूझ रहे हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों में फ्रैक्चर होते हैं। दरअसल ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी पतली और कमजोर हो जाती हैं कि हल्का-सा गिरने या फिर चोट लगने के कारण ही ये टूट जाती हैं। इसमें भी चिंता की बात यह है कि शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। समस्या का पता तब चलता है जब बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है, जिसके चलते फ्रैक्चर होने लगते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कलाई, रीढ़ और हिप्स में फ्रैक्चर सर्वाधिक होते हैं। कई बार हिप्स के फ्रैक्चर इतने गंभीर होते हैं कि इसके कारण मृत्यु तक हो सकती है। मीनोपॉज के बाद महिलाओं में इस तरह के फ्रैक्चर के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या पहले होने लगती है।
योग गुरु अग्रवाल ने बताया आम भाषा में ऑस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का खोखला होना है। यह तब होता है जब हड्डियों से कैल्शियम जैसे मिनरल्स उनकी भरपाई की तुलना में तेजी से कम होने लगते हैं। इससे हड्डी का सामान्य बोन मास प्रभावित होता है। हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। और अधिक आसानी से टूट जाती हैं। शुरुआती स्टेज में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण का पता नहीं चलता, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है कमर दर्द, पीठ में दर्द, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी समस्या होने लगती हैं। महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है। महिलाओं में ऑस्ट्रोजेन नाम का हार्मोन हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। मीनोपॉज के दौरान इसमें तेजी से कमी आती है। इसके अलावा विटामिन-डी, कैल्शियम की कमी भी बड़ा कारण है। अन्य बीमारी में स्टेरॉयड टैबलेट्स अधिक लेने से भी खतरा बढ़ता है। महिलाओं में स्मोकिंग भी कारण है। महिलाओं में निष्क्रियता से हड्डियां कमजोर हो रही हैं,
लो फैट दूध, पालक और दालों को शामिल करें, भोजन में लो फैट या बिना फैट वाला दूध लें। दही और चीज को शामिल करें। इससे शरीर को कैल्शियम मिलता है जो हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है। यह विटामिन डी को अवशोषित करने में मदद करता है। सब्जियों में पालक, भिंडी, टमाटर आदि में मैग्नीशियम होता है ये भी हड्डियां मजबूत करती हैं। ऐसे ही फलों में पपीता, संतरा, केला आदि शामिल करें इनमें पोटेशियम होता है जो हड्डियों को ठोस बनाता है। स्मोकिंग : हड्डियों के लिए बेहद नुकसानदायक तंबाकू के धुएं में पाया जाने वाला निकोटिन हड्डियों का निर्माण करने वाली कोशिकाओं के उत्पादन को कम करता है। ऐसे ही स्मोकिंग से हड्डियों तक पहुंचने वाली ब्लड की सप्लाई भी प्रभावित होती है। इससे भी हड्डियां कमजोर होती हैं। नियमित योग अभ्यास प्रणायाम या ऐसी कोई भी एक्टिविटी जिसमें वजन उठाने और उसे संभालने में निरंतरता हो वह हड्डियों के लिए फायदेमंद हैं। इसमें शरीर का वजन भी शामिल है। ऐसे में रस्सी कूद, जॉगिंग, 30 मिनट की ब्रिस्क वॉक हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद फायदेमंद है। डांस भी एक बेहतर एक्सरसाइज है। रोज सुबह 20 मिनट की धूप भी बहुत जरूरी है।