Gaziabad: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे पर मैक्स हॉस्पिटल ने आयोजित किया वॉकथॉन
Max Hospital organized a walkathon on World Arthritis Day
गाजियाबाद: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (विश्व गठिया दिवस) के मौके पर उत्तर भारत और पश्चिम उत्तर प्रदेश के लीडिंग अस्पतालों में शामिल मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल वैशाली ने वॉकथॉन का आयोजन किया. इस अवसर पर मुरादाबाद में रोटरी क्लब मुरादाबाद ब्रास सिटी स्टार्स के साथ मिलकर 3.5 किलोमीटर की वॉकथान आयोजित की गई.
इस वॉकथॉन को मुरादाबाद स्थित मैक्स सेंटर से सुबह 6.30 बजे जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने हरी झंडी दिखाई. डीएम मानवेंद्र सिंह इस इवेंट के मुख्य अतिथि थे. ये वॉकथॉन कांठ रोड स्थित होटल दि ग्रैंड विलेज पर समाप्त हुई और समापन समारोह में मुरादाबाद कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने शिरकत की. इस वॉकथान में स्थानीय लोगों, अस्पताल स्टाफ, डॉक्टर और अर्थराइटिस के मरीजों समेत 300 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.
मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में ऑर्थोपेडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अखिलेश यादव ने वॉकथॉन के बाद अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि कैसे शरीर के जोड़ों को स्वस्थ रखा जाए और कैसे समय पर इलाज लोगों को अर्थराइटिस की समस्या से बचा सकता है और उनके जीवन को सुधार सकता है.
डॉक्टर अखिलेश यादव ने इस दौरान कहा, ”घुटने के रिप्लेसमेंट के बाद जटिलताओं की बात की जाती है, लेकिन आज जो ये मरीज यहां जमा हुए हैं वो तमाम मिथकों को तोड़ते हुए इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सर्जरी के बाद भी क्वालिटी लाइफ मिलती है.
इस दौरान ये भी बताया गया कि ऑस्टियोअर्थराइटिस और घुटनों से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए शरीर का ज्यादा वजन एक बड़ा कारण होता है. खासकर, उन मामलों में जहां घुटने शरीर के वजन से 6 गुना अधिक होते हैं जिससे जोड़ों पर असर पड़ता है. शरीर का ज्यादा वजन घुटने के डिजनरेटिव जॉइंट डिसऑर्डर को जन्म देता है और कम उम्र में मोटापा जीवन के बाद के चरणों में ऐसी बीमारियों की आशंका को तीन गुना कर देता है. एडवांस इलाज के विकल्पों की उपलब्धता के साथ ही ऐसी दिक्कतों को रोकने के लिए जनता के बीच जागरूकता पैदा करना भी बेहद जरूरी होता है.
डॉक्टर अखिलेश ने कहा, ”मिनिमली इनवेसिव तकनीकों और कंप्यूटर नेविगेशन की मदद से टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है. इसका फायदा ये होता है कि मरीजों को रिकवरी में मदद मिलती है और क्वालिटी लाइफ भी अच्छी होती है. रोबोट असिस्टेड नी-रिप्लेसमेंट, आर्थोस्कोपिक जैसी तकनीक ने सर्जरी को बहुत आसान बना दिया है. इस तरह की सर्जरी में दर्द भी नहीं होता, और मरीज कम वक्त में ही डिस्चार्ज हो जाते हैं.”