Yoga: योगासन मात्र व्यायाम नहीं है, अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए आपको कर्मयोग, राजयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग समन्वित रूप से करना होगा – योग गुरु महेश अग्रवाल
Yogasana is not just an exercise, for the development of your personality you have to do Karmayoga, Rajyoga, Bhaktiyoga and Gyanyoga in a coordinated manner - Yoga Guru Mahesh Aggarwal.
आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र के योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जागरूक करना और मानसिक बीमारियों के बारें में जानकारी प्रदान करना है। मानसिक स्वास्थ्य की सही देखभाल व्यक्ति को खुश और समृद्ध जीवन जीने में मदद करती है। स्ट्रेस या तनाव एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसका जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। युवा हों या बुजुर्ग, सभी उम्र के लोगों में इस विकार के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों के लिए अपने शारीरिक स्वास्थ्य की ही तरह से मानसिक सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है। दोनों स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, यानी अगर आप स्ट्रेस एग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं के शिकार हैं, तो इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने वाले हो सकते हैं।
योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर विशेष बताया कि योग का भविष्य अत्यन्त महान् और दिव्य है। आगामी सदी में योग समाज के उत्थान में सर्वप्रमुख भूमिका निभायेगा। जीवन की सन्तुलित अन्तर्दृष्टि को मन की शान्ति कहते हैं। पाने और खोने से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है, वह तो जीवन में हर चीज की समझदारी से सम्बन्धित है। बाहरी जीवन उतार-चढ़ाव से परिपूर्ण होता है और यह एक कमजोर आदमी के लिये थकावट का कारण है, लेकिन शक्तिशाली व्यक्ति के लिये जीवन का हर चढ़ाव एक खुशी है और हर उतार एक खेल है। शरीर के एक स्तर पर कुछ विशेष हार्मोन स्रावित होते हैं जो अशान्ति पैदा करते हैं। इनमें एड्रिनलिन, टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन सबसे अधिक विघ्नकारक हैं। यदि इनके प्रवाहों को ठीक से नियंत्रित कर लिया जाये तो अशान्ति उत्पन्न करने वाले आरंभिक शारीरिक उपद्रवों को दूर किया जा सकता है। आसन, प्राणायाम और ध्यान के प्रतिदिन नियमित अभ्यास से हार्मोन के स्त्रावों में नियंत्रण आयेगा, मानसिक और प्राणिक शक्तियों में एक स्वाभाविक संतुलन होगा और उद्विग्नता जैसी समस्याएँ उत्पन्न नहीं होंगी। साधारण तौर पर अशान्ति का कारण है अतिशय सोचना और इच्छा करना और यह इस बात का सूचक है कि तुम्हारा दिमाग काबू के बाहर हो गया है। इस मानसिक शक्ति की इस अधिकता को सन्तुलित करने के लिये राजयोग के ध्यान का अभ्यास अधिक करना चाहिये। सबसे अच्छा उपाय है- मंत्र का जप करना तथा उनके अभ्यास से मानसिक शक्ति का बहिर्गमन बंद होगा। व्यक्ति के मनोविकार, निराशाएँ और भावनाएँ ही उसकी बीमारी के कारण हैं। योग अभ्यास से अतिरिक्त प्राणशक्ति प्राप्त होती है मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जो हमारे जीवन में बेहद अहमियत रखता है, फिर भी ज्यादातर लोग इसकी अनदेखी ही करते हैं. मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन, इंजायटी से लेकर हिस्टिरिया, डिमेंशिया, फोबिया जैसी कई मानसिक बीमारियां है जो पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। कोरोना के इस दौर में तो सोशल डिस्टेंसिंग, आइसोलेशन के कारण ये समस्याएं और भी बढ़ गई हैं।