Delhi University: लोक एवं जन-जातीय नृत्य प्रतियोगिता का उद्देश्य है विद्यार्थियों को लोक से भी जोड़ना: अनूप लाठर
The aim of the folk and tribal dance competition is to connect students with the people: Anoop Lathar
दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद और मिरांडा हाउस के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय लोक एवं जनजातीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मिरांडा हाउस कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित इस प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों की कुल 17 टीमों ने भाग लिया। इसके साथ ही एकल नृत्य प्रतियोगिता में 28 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के लोक एवं जनजातीय नृत्यों की सुंदर प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे संस्कृति परिषद के अध्यक्ष अनूप लाठर ने संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद छात्रों में संस्कृति और उसके मूल्यों को विकसित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। लोक एवं जनजातीय नृत्य प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य छात्रों को लोगों से भी जोड़ना है। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और विचारों की आपसी भागीदारी का एक साझा मंच है। संस्कृति परिषद के डीन रविंद्र कुमार ने कहा कि नृत्य एक साधना है मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रोफेसर विजयलक्ष्मी नंदा ने अपने संबोधन में कहा कि मिरांडा हाउस भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा।
प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार मोतीलाल नेहरू कॉलेज द्वारा प्रस्तुत ‘गोंडल’ नृत्य को, दूसरा पुरस्कार मैत्रे कॉलेज द्वारा प्रस्तुत ‘करागाटम’ नृत्य को तथा तीसरा पुरस्कार मिरांडा हाउस के गरबा नृत्य को दिया गया। इसके अलावा, टीमों की भागीदारी संख्या तथा कौशल और प्रतिभा को देखते हुए श्री गुरु नानक देव कॉलेज की भांगड़ा टीम को विशेष पुरस्कार दिए गए। प्रतियोगिता के दौरान एकल नृत्य में प्रथम पुरस्कार लक्ष्मण राज रामानुजन कॉलेज को दिया गया। दूसरा स्थान संयुक्त रूप से सीजल पी एस मानव विज्ञान विभाग तथा शांभवी महेश वेंकटेश्वर कॉलेज को दिया गया। तीसरा पुरस्कार भी संयुक्त रूप से दिया गया, जिसमें प्रथम स्थान इप्सिता पंत जीसस एंड मैरी कॉलेज तथा कावेरी अबराल को मिला। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में चरी (राजस्थान), देवरत्नम (तमिलनाडु), भांगड़ा (पंजाब), गरबा (गुजरात), गोंधल (गोवा), करगट्टम (केरल), लुड्डी (पंजाब), डोलू कुनिथा (कर्नाटक), गिद्दा (पंजाब), मणिपुरी, कालबेलिया (राजस्थान), बांस (नागालैंड), कोलट्टम (तमिलनाडु), राजस्थानी, बोडो और तेरह-ताली (राजस्थान) जैसी विभिन्न नृत्य शैलियों की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के दौरान मिरांडा हाउस का ऑडिटोरियम दर्शकों से खचाखच भरा रहा। रंगारंग नृत्य और संगीत के समन्वय ने अद्भुत माहौल बना दिया था। दर्शकों का अत्यधिक उत्साह प्रतिभागियों को और भी अधिक प्रोत्साहित कर रहा था। निर्णायक के रूप में डॉ. रक्षा सिंह (राष्ट्रीय कथक गुरु और कलाकार), वाणी राजमोहन (भरतनाट्यम गुरु और कलाकार) और डॉ. नीरा शर्मा (सेवानिवृत्त संगीत विभागाध्यक्ष, प्राचार्य और नृत्यांगना और गायिका) मौजूद थीं। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. निशा नाग, प्रो. बशबी गुप्ता, डॉ. कविता भाटिया, डॉ. विशाल मिश्रा और डॉ. अनु कुमारी ने सक्रिय योगदान दिया।