Delhi: विकसित देशों में महज 4 फीसदी है प्राथमिक क्षेत्र का योगदान: प्रो. योगेश
Contribution of primary sector is only 4 percent in developed countries: Prof. Yogesh
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स इंडिया के सहयोग से “G20 U20 Y20 के समेकित लाभ पर राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस: एमर्जिंग नेशनल अर्बन एजेंडा” पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसपीए नई दिल्ली के निदेशक प्रो. योगेश सिंह ने की। इस अवसर पर एसपीए के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष प्रो. (एआर) हबीब खान बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। एसपीए के डीन रिसर्च एवं कॉन्फ्रेंस के संयोजक प्रो. संजय गुप्ता और डीन स्टूडेंट वेल्फेयर व सम्मेलन के सह-संयोजक प्रो. अशोक कुमार विशिष्ट अतिथियों के रूप उपस्थित रहे।
एसपीए के निदेशक प्रो. योगेश सिंह ने अपने संबोधन में जोर देते हुए कहा कि विकसित देशों में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान महज 4 फीसदी है, इसके विपरीत शहरी भारत को नए शहरों के विकास, बढ़ते शहरीकरण और पुराने शहरों के स्थायी तरीके से कायाकल्प में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार, अत्यधिक आबादी वाले देश में चुनौतियों का समाधान करना और भारत के अद्वितीय संदर्भ के अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने जैसे फोकस के प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित करने वाली “जी20 नई दिल्ली की घोषणा” बहुत ही सराहनीय है। टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण जीवन और टिकाऊ समुदायों के लिए ऊर्जा दक्षता, कार्यस्थलों के नजदीक कॉम्पैक्ट शहरों और शहरी जीवनशैली को प्राथमिकता देना जरूरी है।
प्रो. (एआर) हबीब खान ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए शहरी केंद्रों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहरी क्षेत्र वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में 60% का योगदान करते हैं और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 50-60% उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “L.I.F.E.” की अवधारणा (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की शुरुआत की गई, जो जीवन शैली विकल्पों और पर्यावरणीय प्रभाव के अंतर्संबंध को रेखांकित करती है। उन्होंने खराब डिजिटल बुनियादी ढांचे और बिखरे हुए कार्यबल जैसी चुनौतियों की ओर भी इशारा करते हुए स्मार्ट प्रौद्योगिकी के संदर्भ में उन्नयन और पुनर्मूल्यांकन की वकालत की। प्रो. खान ने कहा कि “डी-ग्रोथ” की धारणा को उत्पादन और खपत को कम करने की रणनीति के रूप में पेश किया गया था, जिससे कि पर्यावरण का संरक्षण किया जा सके। कार्यक्रम की शुरुआत में डीन रिसर्च प्रो. संजय गुप्ता ने कॉन्फ्रेंस के एजेंडे पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में कुल मिलाकर 252 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें लगभग 140 प्रतिनिधि विभिन्न सरकारी निकायों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और निजी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले थे। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में नई दिल्ली और उसके आसपास के संस्थानों से 40 शिक्षाविदों और 72 विद्यार्थियों ने भाग लिया।