Education: दुनिया के विभिन्न हिस्सों के छात्र और संकाय मिलकर कार्य कर सकेंगे, अध्‍ययन करेंगे और आगे बढ़ेंगे- धर्मेन्‍द्र प्रधान

Students and faculty from different parts of the world will be able to work, study and grow together – Dharmendra Pradhan

केन्‍द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर के साथ आज गांधीनगर में वॉलोन्गॉन्ग और डीकिन विश्वविद्यालयों के भविष्‍य में बनने वाले परिसरों के स्‍थान का दौरा किया। उन्हें परिसर की प्रगति और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। मंत्रियों ने आरंभ (द बिगिनिंग) नामक एक कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें गिफ्ट सिटी में परिसरों के उद्घाटन की औपचारिक रूप से घोषणा की गई। भारतीय धरती पर विदेशी विश्वविद्यालयों का खुलना राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की परिकल्‍पना के अनुरूप है। आरंभ कार्यक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिसमें भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय परिसरों की शुरुआत का उत्सव मनाने के लिए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, मंत्री और अकादमिक प्रमुख एक साथ शामिल हुए। डीकिन विश्वविद्यालय और वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने कोविड-19 महामारी जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी पर प्रकाश डालते हुए दो देशों के बीच साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत में परिसरों के खुलने के साथ शुरू होने वाले पाठ्यक्रमों सहित भविष्य की योजनाओं को साझा किया। इस अवसर पर, श्री प्रधान ने छात्र और शैक्षणिक समुदाय को नए ‘आरंभ’ के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालय परिसर भारत में अध्ययन की सुविधा प्रदान करेंगे और एनईपी 2020 में की गई परिकल्पना के अनुसार एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण भी बनाएंगे। श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि अवसरों की भूमि- गिफ्ट सिटी में इन दो विश्वविद्यालयों के परिसर खोलना छात्र समुदाय के लिए एक ‘उपहार’ है। उन्होंने एनईपी के माध्यम से भारत की शिक्षा में बदलाव लाने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की कल्‍पना और प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के छात्र और संकाय इस तरह के प्रयासों से मिलकर कार्य करेंगे, अध्‍ययन करेंगे और आगे बढ़ेंगे।उन्होंने कहा, यह परिवर्तनकारी नीति ‘स्‍वदेश में अंतर्राष्ट्रीयकरण’ पर जोर देती है, जिसका लक्ष्य हमारे अपने देश के भीतर एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button