नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जी जोशी ने दिल की गीता ग्रंथ के विमोचन पर गीता को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि हम सभी के अंदर भागवत गीता का बीज है। उन्होंने ऐलान किया कि सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। जबकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने इजरायल, फिलिस्तीन, यूक्रेन और रूस का नाम लिए बिना कहा कि मुस्लिम, ईसाई और यहूदी कुल आबादी के 50 फीसदी हैं लेकिन इतना बड़ा समाज आज की तारीख में गुस्से व नफरत में जीते हुए आपस में लड़ रहा है, ऐसे में विश्वशांति की कल्पना नहीं की जा सकती है। सुरेश भैय्याजी जोशी ने अपने उद्बोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारतीय ऋषियों, मुनियों और भारतीय चिंतन ने समय समय पर समरसता का संदेश रखा है। उपनिषद में भी भेद भाव नहीं, सर्वकल्याण की बाद कही गई है। पूर्व सरकार्यवाह ने कहा कि भगवान ने कहा है कि सज्जनों और धर्म की रक्षा के लिए बार बार आयेंगे। भैय्याजी जोशी ने कहा कि समरसता, समस्त जीवजगत और मानव समाज का उल्लेख गीता में दिया गया है। सभी के कल्याण की कामना की बात कही गई है। भैय्या जी जोशी ने कहा कि संकट तब आता है कि जब दुनिया दुर्जनों से भरी होगी तो ईश्वर ऊपर से नहीं आएंगे। भैय्याजी जोशी ने गीता के संदेशों को संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए आवश्यक बताया। गीता में कर्मशील और भक्ति से पूर्ण संदेश दिया गया है। परंतु यह भक्ति और कर्म.. बिना ज्ञान के करना मूर्खता होती है। यह बातें सिर्फ हिंदुओं या एक समुदाय के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है। धर्म युद्ध में भगवान कृष्ण ने कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए अधर्म के रास्ते पर भी चलना पड़े तो यह गलत नहीं है। अर्थात महत्वपूर्ण है धर्म की रक्षा करना।
आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कार्यक्रम की दिल से सराहना करते हुए सामाजिक समरसता पर जोर दिया। उन्होंने कहा मालिक यानी ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु गॉड सभी एक ही है जिसको आसान शब्दों में ऊपर वाला कहा गया है। दीन, कुरान, पंथ, गीता, ग्रंथ एवं मतपंथों सभी में समरसता, प्यार, शांति और अपनेपन की बात कही गई है।
इंद्रेश कुमार ने इस अवसर पर गीता के उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि रोटी कपड़ा मकान खून से नहीं श्रम से कमाया जाता है। गीता में श्री कृष्ण ने भी यही कहा था कि कर्म किए जा फल की चिंता न कर। अंग्रेजों को भी जब इस देश से भगाया गया था तो नारे जो आए थे वो थे…. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। उन्होंने कहा कि बापू ने भी रोटी कपड़ा और मकान की नहीं स्वाभिमान की बात की थी। क्योंकि यह स्वाभाविक था कि अंग्रेजों से जब आजादी मिलेगी तो बाकी चीजें स्वतः मिलेंगी।