Gaziabad: परहित धर्म और परपीड़ा अधर्म है-आचार्य जितेन्द्र

Altruistic religion and sadism are unrighteous - Acharya Jitendra

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में चल रहे त्रैमासिक पुरोहित प्रशिक्षण शिविर का समापन सत्र केन्द्र- शंभू दयाल दयानंद वैदिक सन्यास आश्रम,दयानन्द नगर में स्वामी सूर्यवेश जी के सानिध्य में वैदिक मंत्र उच्चारण से प्रारंभ हुआ।आश्रम के उपाध्यक्ष स्वामी सूर्यवेश ने कहा कि पुरोहित धर्म का ध्वज वाहक होता है पुरोहित घरों घरों में जा जाकर घर को पवित्र करता है।धर्म संस्कृति की रक्षा करता है।परिवारों को संस्कार की शिक्षा देता है इसलिए समाज के उत्थान में पुरोहित की बहुत बड़ी भूमिका है। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध पुरोहित प्रशिक्षक डॉ अग्नि देव शास्त्री ने किया तथा उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित पुरोहित प्रशिक्षण शिविर में 33 छात्रों ने बड़े उत्साह पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया और प्रसन्नता की बात यह है कि लगातार चल रहे पुरोहित प्रशिक्षण में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे योगी प्रवीण आर्य (प्रांतीय महामंत्री केंद्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश) ने समापन सत्र में नियमित योगाभ्यास करने से होने वाले लाभों की चर्चा की तथा ईश्वर भक्ति के भजन के साथ सभी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को आशीर्वाद प्रदान किया।उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान पूरे प्रदेश में संस्कृत संभाषण,पुरोहित प्रशिक्षण, वास्तु एवं ज्योतिष प्रशिक्षण आदि अनेक कार्यक्रमों का संचालन करता है जिससे भारत की प्राचीन परंपरा का प्रचार प्रसार तथा रक्षण होता रहे।
आचार्य जितेन्द्र ने 16 संस्कारों की महत्ता पर विस्तृत चर्चा की तथा बताया की परहित धर्म और परपीड़ा अधर्म है।इसलिए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।तभी कल्याण सम्भव होगा।
शांति पाठ एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button