Ayurvedic Treatment: आयुर्वेद को लोकप्रिय कैसे बनाएं और जनमानस तक इसकी पहुंच सर्वसुलभ कैसे हो
How to make Ayurveda popular and make it accessible to the general public

आयुर्वेद के क्षेत्र में अधिक लोगों को कैसे जोड़ा जाए, इसमें अधिक शोध और अनुसंधान को कैसे बढ़ावा मिले तथा आयुष चिकित्सा को आम जनमानस के बीच कैसे लोकप्रिय बनाया जाए। बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में जितने भी नए रिसर्च हो रहे हैं और नई रचनाएं लिखी जा रही हैं उसकी भाषा बहुत ही सरल हो और डिजिटल एप (कोड) के अंतर्गत अधिक-से-अधिक स्थानीय भाषा में उसकी उपलब्धता हो ताकि देश-विदेश का हर एक नागरिक अपनी सुगम भाषा में उसकी आसानी से स्टडी कर सके।
आयुर्वेद आहार विषय पर केंद्रित व्याख्यान में पैनलिस्ट ने बताया कि शरीर की प्रकृति (कफ, वात, पित) के अनुरूप आहार होना चाहिए। फूड इज मेडिसिन, बट मेडिसिन इज नॉट फूड के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। इसमें सुझाव आया कि एफ. एस.एस.आई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) खाद्य पदार्थों के सर्टिफिकेशन में आयुर्वेद आहार के मानक को भी सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया में शामिल करें।
एविडेंस बेस्ड आयुर्वेद थीम पर आधारित व्याख्यान में पैनलिस्ट ने बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में नित्य होने वाले नए शोध,अनुसंधान एवं व्यवहारिक ज्ञान को प्यूरिफाई करने के लिए एक मानक संस्था होनी चाहिए, जिससे जनमानस तक पहुंचने से पूर्व ज्ञान,जानकारी व तकनीक को कई चरणों में जांचा-परखा जा सके।
राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग कॉन्क्लेव में देश भर के लगभग 200 से अधिक आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने प्रतिभा किया। इसमें आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सेवा के अवसरों, दायित्व और अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की गई। आयुष चिकित्सा लाभ के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों को कैसे बेहतर सुविधा दी जा सकती है इस संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा लांच की गई आयुष वीजा सेवा से संबंधित जानकारी भी साझा की गई।
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ जे. एन. नौटियाल ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को हेल्थ केयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री पर पंजीकृत करना चाहिए तथा आयुष अस्पताल को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स में पंजीकृत करना चाहिए ताकि विदेश से आयुष चिकित्सा का लाभ लेने के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों को सुगमता से स्वास्थ्य लाभ मिल सके।