Delhi: सोमवार से अगर दिल्ली में कोई धूल प्रदूषण फैलाता मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी- गोपाल राय
From Monday onwards, if anyone is found spreading dust pollution in Delhi, strict action will be taken against him- Gopal Rai
दिल्लीवालों के लिए वायु प्रदूषण को लेकर बेहद सुखद खबर है। ‘‘आप’’ की सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों और जनता के सहयोग से दिल्ली में इस बार दशहरा के अगले दिन भी हवा साफ रही है। केंद्र सरकार की एजेंसी सीपीसीबी द्वारा जारी आंकड़े साझा करते हुए दिल्ली के प्रदूषण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में पिछले दो साल से लगातार जनवरी से अक्टूबर तक 200 से ज्यादा अच्छे दिन रहे हैं, जबकि 2016 में यह मात्र 109 दिन ही थे। आमतौर पर दशहरा के अगले दिन दिल्ली का एक्यूआई पुअर कटेगरी में होता है, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के बावजूद हवा स्वच्छ रही है। उन्होंने कहा कि सोमवार से धूल प्रदूषण पैदा करने वालों को किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। अगर कोई डस्ट पॉल्यूशन फैलाता हुआ पाया गया तो एंटी डस्ट कैंपेन के तहत उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

रविवार को प्रेसवार्ता कर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पूरे उत्तर भारत और खास तौर से देश की राजधानी दिल्ली में सर्दियों का मौसम प्रदूषण लेकर आता है। लेकिन आज हम लोग दशहरा के अगले दिन दिल्ली की साफ हवा के बीच सांस ले रहे हैं। आमतौर पर दशहरा के अगले दिन दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब स्थिति में पहुंच जाती है। दिल्ली में पिछले 10 दिनों से बारिश नहीं हुई है। इसके बावजूद एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब स्थिति से बाहर है। यह दिल्ली के अंदर लगातार दूसरा साल है। पिछले साल भी जनवरी से 12 अक्टूबर तक 200 दिन ऐसे थे, जिनकी गिनती अच्छे दिनों में थी। श्री गोपाल राय ने कहा कि 2016 के बाद केवल लॉकडाउन के दौरान 2020 में दिल्ली ने 200 अच्छे दिनों के आंकड़े को पार किया था। बिना लॉकडाउन के दिल्ली के अंदर लगातार दूसरे साल 365 में से 200 अच्छे दिनों को प्राप्त करना दिल्लीवालों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। 2016 में इनकी संख्या केवल 109 थी। अगले महीने अगर हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो अच्छे दिनों की संख्या बढ़ सकती है। ये आंकड़े केंद्र की भाजपा सरकार अधीन काम करने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए हैं। भाजपा के नेता हर बार झूठ बोलते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा हूं। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि वह एक बार अपने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री या सीपीसीबी से बात कर कंफर्म कर लें कि सीपीसीबी के आंकड़े सही हैं या नहीं।