Editorial: न्यायालय व राजस्व ऑफिसों के दलालों की अब खैर नहीं
The brokers of court and revenue offices are no longer in good health.

साथियों बात अगर हम 4 दिसंबर 2023 से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में इस विधेयक के लोकसभा पारित होने की करें तो संसद ने सोमवार को अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी प्रदान की। इस विधेयक का मकसद अदालत परिसरों में दलालों की भूमिका को खत्म करना है। लोकसभा ने विधेयक पर विस्तृत चर्चा और कानून मंत्री के जवाब के बाद ध्वनिमत से स्वीकृति दी। राज्यसभा में यह विधेयक पिछले मानसून सत्र में पारित किया गया था। लोकसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने अदालतों को दलालों से पूरी तरह मुक्त करने की जरूरत बताई। बड़ी पार्टी जहां इस संबंध में बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए आवश्यक प्रावधान करने पर जोर दिया। वहीं, सत्ताधारी पार्टी ने कहा कि पीएम की सरकार में न्यायपालिका को स्वच्छ बनाने का प्रयास जारी है। हालांकि अनेक दलों ने इस विधेयक को वापस लिए जाने और इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई। बड़ी पार्टी सांसद ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि छोटी अदालतों में छोटे-मोटे दलालों के खिलाफ पहल करने के साथ-साथ केंद्र को बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए प्रावधान करना चाहिए।केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर 2023 को शुरू हुई और सरकारी कामकाज की अनिवार्यता के अधीन, सत्र शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023 को समाप्त हो सकता है। 19 दिनों की अवधि में सत्र में 15 बैठकें होंगी।
साथियों बात अगर हम अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 की करें तो यह एक नया खंड,धारा 45 ए पेश करता है, जिसका शीर्षक है दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने की शक्ति’। यह धारा दलाल होने के कृत्य को तीन महीने तक की कैद, पांच सौ रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडनीय बनाती है। विधेयक दलाल को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जो पारिश्रमिक के विचार से, एक कानूनी व्यवसायी का रोजगार प्राप्त करता है या किसी कानूनी व्यवसायी या किसी कानूनी व्यवसाय में इच्छुक पार्टी को ऐसे रोजगार का प्रस्ताव देता है। यह उन व्यक्तियों को भी संदर्भित करता है जो ऐसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अदालत परिसरों, राजस्व कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आते-जाते हैं। विधेयक का उद्देश्य महत्वपूर्ण बदलाव करना है, विशेष रूप से दलाल के कृत्य को दंडनीय बनाने और पुराने कानूनी व्यवसायी अधिनियम, 1879 के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने पर ध्यान केंद्रित करना है। विधेयक में कहा गया है कि दलालों से संबंधित मामलों को छोड़कर, कानूनी व्यवसायी अधिनियम, 1879 के तहत आने वाले सभी पहलू पहले से ही अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में शामिल हैं। इसमें आगे उल्लेख किया गया है कि लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 की धारा 1, 3 और 36 को छोड़कर सभी धाराएं, अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अनुसार पहले ही निरस्त कर दी गई हैं। नया अनुभाग उच्च न्यायालय, जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों को दलालों के रूप में कार्य करने के लिए सामान्य प्रतिष्ठा या आदतन गतिविधियों के साक्ष्य के माध्यम से सिद्ध व्यक्तियों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने का अधिकार देता है। आवश्यकतानुसार सूचियों में संशोधन किया जा सकता है।इसके अलावा, विधेयक स्पष्ट करता है कि यदि कानूनी व्यवसायियों के संघ के अधिकांश सदस्यों द्वारा इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से बुलाई गई बैठक में किसी व्यक्ति को दलाल होने या न होने की घोषणा करने वाला प्रस्ताव पारित किया जाता है, तो यह सामान्य साक्ष्य के रूप में काम करेगा।
साथियों बात अगर हम इस विधेयक की ज़रूरत की करें तो, कानून के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, संशोधन एक एकल अधिनियम,अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के माध्यम से कानूनी पेशे को विनियमित करने में मदद करेगा राज्यसभा में विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री ने कहा कि कानूनी पेशा एक महान पेशा है और गैरकानूनी प्रथाओं से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। इसका उद्देश्य कानूनी पेशे को एक ही अधिनियम द्वारा विनियमित करना है और दलालों को लक्षित करना है। विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय और जिला न्यायाधीश दलालों (वे जो किसी भी भुगतान के बदले में कानूनी व्यवसायी के लिए ग्राहक खरीदते हैं) की सूची तैयार और प्रकाशित कर सकते हैं। विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
साथियों बात अगर हम दलाल की परिभाषा समझने की करें तो, इस विधेयक के अनुसार दलाल या ‘टाउट’ वो व्यक्ति है जो पारिश्रमिक के लिए, एक कानूनी व्यवसायी को या लीगल बिजनेस में दिलचस्पी रखने वाली किसी पार्टी को एक दूसरे कानूनी व्यवसाय के रोजगार की सलाह देता है। यह वो लोग हैं जो इस तरह की गतिविधियों के लिए अक्सर कोर्ट परिसर, रेविन्यू ऑफिसेज, रेलवे स्टेशन्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नजर आते हैं। अब कानून में संशोधन आने से दलालों पर शामत आना तय है, उनकी नकेल कसना तय है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि न्यायालय व राजस्व ऑफिसों के दलालों की अब खैर नहीं।अदालत, राजस्व परिसरों में दलालों की भूमिका खत्म करने सख़्त कानून दोनों सदनों में पारित।संसद के दोनों सदनों में अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 पारित-दलालशाही को समाप्त करना मील का पत्थर साबित होगा।