mumbai: नवजात शिशू को मिला नया जीवन, वॉक्हार्ट अस्पताल की कामयाबी

New born baby gets new life, success of Wockhardt Hospital

जन्मजात मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम से पीड़ित नवजात शिशू को नई जिंदगी देने में मिरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टर को सफलता हासिल हुई हैं। वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नीतू मुंदड़ा के नेतृत्व में एक टीम ने इस नवजात शिशू का इलाज किया हैं। शिशू के इलाज के बाद उसके सेहत में सुधार देखकर २७ वे दिन उसे डिस्चार्ज दिया गया।
भायंदर में रहने वाले एक जोडे के यहां १५ सिंतबर को बच्चा हुआ। बच्चे का वजन २.३ था। बच्चे ने मां के गर्भ के अंदर मेकोनियम (मल) पारित किया था और उसे सांस के माध्यम से निगल लिया था, जिससे मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम नामक एक जटिलता पैदा हो गई, जहां मल बच्चे के फेफड़ों में चला जाता है। बच्चे को शुरू में सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जिससे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया था। उनकी बिगड़ती हालत के कारण उन्हें वॉक्हार्ट नियोनेटल इंटेंसिव केयर सेंटर में रखा गया।
मीरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नीतू मुंदडा ने कहॉं की, बच्चे को आपतकालीन स्थिती में अस्पताल लाया गया था। बच्चे की शारीरिक गतिविधीयां बंद थी। उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। इसलिए उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। वैद्यकीय जाचं में पता चला की बच्चे को गंभीर पल्मोनर बीमारी थी। ऐसी स्थिती में तुरंत इलाज करना जरूरी था। क्योंकी समय रहते इलाज नही किया गया तो बच्चे की जान जा सकती थी।
बच्चे का प्लेटलेट काउंट ११,०००  से भी कम था और उसे उच्च आईएनआर के साथ कोगुलोपैथी है, जहां रक्त शरीर के अंदर जमने में असमर्थ है। उनकी किडनी ख़राब हो रही थी और लीवर मार्कर ख़राब हो गए थे। नवजात शिशु के रूप में उन्हें लगातार फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप की भी समस्या थी। ऐसी स्थिति जहां हृदय का दबाव अधिक होता है, जिसके कारण मरीज का रक्त शुद्ध नहीं हो पाता है। इससे गंभीर समस्या का सामना करना पड सकता हैं।
डॉ. मुंदडा ने आगे कहा की, बच्चे को कई समस्याओं के साथ एक गंभीर स्थिति में अस्पताल भर्ती कराया गया था। बच्चे की बिघडती सेहत को देखकर हमने बच्चे पर तुरंत इलाज शुरू किया। सात दिन उसे वेंटिलेशन पर रखा गया था। उसके बाद, हमने सहायक उपचार और एंटीबायोटिक्स जारी रखा। हमने बच्चे को दूध पिलाना शुरू किया और इलाज जारी रखने के लिए बच्चे को स्टेप डाउन एनआईसीयू यूनिट में मां के पास रखा। माँ को स्तनपान के बारे में प्रशिक्षित किया गया और बच्चे के सेहत में सुधार देखकर २७ वे दिन उसे डिस्चार्ज दिया गया।
बच्चे की मॉं प्रीति शाह ने कहॉं की, बच्चे की सेहत को देखकर हम काफी डर गए थे। लेकिन वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टरोंने वजह से हमारे बच्चे को नई जिंदगी मिली हैं। बच्चे की जान बचाने के लिए हम डॉक्टरों के आभारी हैं।

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