National: UAE के राष्ट्रपति एवं जैन आचार्य लोकेश जी के मध्य वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

Discussion on global issues between UAE President and Jain Acharya Lokesh Ji

UAE के राष्ट्रपति एवं शासक शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यन एवं जैन आचार्य लोकेश जी के बीच विश्व के मौजूदा हालत एवं वैश्विक मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।  उल्लेखनीय है की जैनाचार्य लोकेश COP28 ग्लोबल इंटरफेथ समिट में भाग लेने के लिए आबू धाबी पहुंचे हुए थे।  राष्ट्रपति के निमंत्रण पर उनके महल में चर्चा हुई। COP28 ग्लोबल इंटरफेथ समिट में जैन धर्म का प्रतिनिधि के रूप में समागत विश्व शान्ति केंद्र एवं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक लोकेश जी ने माननीय राष्ट्रपति को जानकारी देते हुए बताया कि जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों में जलवायु परिवर्तन सहित अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।  आचार्य लोकेश ने कहा की जैन धर्म के सिद्धांतों में अहिंसा, शान्ति, सद्द्भावना, प्रेम एवं करुणा प्रमुख हैं।  उन्होंने बताया कि इन्ही सिद्धांतों के विश्वव्यापी प्रचार प्रसार के लिए भारत की राजधानी दिल्ली-एनसीआर में विश्व शान्ति केंद्र निर्मित हो रहा है जिसका अगले वर्ष – 2024 में विधिवत लोकार्पण होगा। माननीय राष्ट्रपति ने आबू धाबी में आयोजित COP28 ग्लोबल इंटरफेथ समिट की सफलता को ऐतिहासिक बताया एवं इस कार्यक्रम की सफलता के लिए मुस्लिम कौंसिल ऑफ़ एल्डर्स, यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम एवं COP28 के आयोजकों की प्रसंसा की। राष्ट्रपति ने विश्व शान्ति केंद्र एवं जैन धर्म के बारे में और अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की।
यह समिट विश्वभर से आए धार्मिक नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों का एक महत्वपूर्ण संगठन है, जिसमें आचार्य डॉ. लोकेश मुनि को 30 प्रतिष्ठित वैश्विक धर्म नेताओं में से एक के रूप में शामिल किया गया। इसमें पोप फ्रांसिस के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन, अल-अजहर के ग्रैंड इमाम के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि प्रोफेसर मोहम्मद अल-डवेनी, कॉन्स्टंटिनोपल के धार्मिक पैत्रिक, मॉस्को के पैत्रिक और कैंटरबरी के आर्चबिशप, माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के प्रमुख शिष्य स्वामी अमृतस्वरुपानंद पुरी, निष्काम सेवा ट्रस्ट बर्मिंघम के भाई मोहिंदर सिंह, यूनाइटेड किंगडम में ब्रह्मा कुमारीज़ की निदेशक सिस्टर मॉरीन गुडमैन, स्वदेशी नेता कोलोराडो नदी भारतीय जनजाति दादी मोना पोलाका, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रधान प्रतिनिधि एमएस. बानी दुग्गल, भाई सतपाल सिंह जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी आदि सम्मिलित थे।

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