Editorial: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 9 फ़रवरी 2024
Budget session of Parliament from 31 January to 9 February 2024

साथियों बात अगर हम संसद के बजट सत्र 2024 की करें तो, संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर नौ फरवरी तक चलेगा। दस दिनों के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी और उसी दिन आर्थिक सर्वे पेश किए जाने की संभावना है। दस दिन तक चलने वाला यह बजट सत्र अंतरिम बजट होगा और इसमें सरकार केवल आवश्यक खर्चों के लिए अनुमति मांगेगी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पेश किए जाने वाले इस बजट के लोकलुभावन नीतियों से भरपूर होने की संभावना है।2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी सरकार ने आयकर की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया था, जिसका बहुत स्वागत किया गया था। इस बार भी पीएम के द्वारा कही जाने वाली चार विशेष जातियों महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए विशेष योजनाएं पेश की जा सकती हैं।आर्थिक मामलों के जानकारों के अनुसार, इस बार बजट में आयकर सीमा के बढ़ाने की संभावना नहीं है। प्रत्यक्ष आयकर दाताओं की संख्या पहले ही बहुत कम है, इसलिए सरकार आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर अपनी आय कम करने की बात नहीं सोचेगी। उसे लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त पैसे की भी आवश्यकता है। ऐसे में वह अपनी आय कम करने का कोई भी रास्ता नहीं अपनाएगी। हालांकि, किसी नए कर प्रस्ताव के न आने की भी संभावना हो सकती है।बता दें कि सत्तारूढ़ सरकार चुनावी वर्ष में या जब पूर्ण बजट के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है, तब संसद में अंतरिम बजट पेश करती है। पूरे वार्षिक बजट का मसौदा चुनाव के बाद कार्यभार संभालने वाली नई सरकार द्वारा तैयार किया जाएगा। इस वर्ष, पिछले वर्षों की तरह एक लंबे आर्थिक सर्वे के बजाय, 1 फरवरी को अंतरिम बजट से पहले 2024-25 के लिए भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट पेश किए जाने का अनुमान है। मालूम हो कि आम चुनाव से पहले यह 17वीं लोकसभा का आखिरी सत्र होगा और सरकार लेखानुदान के जरिए जुलाई 2024 तक चार महीने के लिए संसद से खर्च की मंजूरी मांगेगी।
साथियों बात कर हम 1 फरवरी 2024 को पेश होने वाले बजट पर पूरी दुनियां की नजरों की करें तो, वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले हर क्षेत्र के हितकारी लोगों की नजरे लोकसभा चुनाव 2024 के पूर्व 1 फरवरी 2024 को पेश होने वाले अंतरिम बजट 2024-2025 पर लगी हुई है, क्योंकि आम जनता इस आस में है कि इस अंतिरिम बजट 2024 में चूंकि लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए लोक लुभावना घोषणाएं की जाएगी और आम जनता के साथ साथ वोटरों को भी आकर्षित किया जाएगा, परंतु पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि लगातार विकास कार्यों, स्कीमों की घोषणाएं होती ही रहती है इसीलिए ही माननीय केंद्रीय वित्तमंत्री ने एक कार्यक्रम में इशारा दे दिया है कि 2024 के 1 फरवरी वाले अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं करने जा रही है बल्किइसके लिए जुलाई 2024 में पेश होने वाले पूर्ण बजट का इंतजार करना होगा।मेरा मानना है कि इससे जनता को कुछ मायूसी जरूर हुई होगी परंतु सब्र का फल मीठा होता है मुझे विश्वास है जुलाई 2024 में बड़ी असरदार घोषणाओं की संभावना की उपलब्धि से इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकि बजट 2024-2025, 1 फरवरी 2024 के अंतिरिम बजट की तैयारी शुरू हो गई है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे वित्त वर्ष 2024-2025 में दो बार बजट पेश होगा अंतरिम बजट व पूर्ण बजट।
साथियों बात अगर हम संविधान के आर्टिकल 116 में शामिल वोट आन अकाउंट यानी लेखानुदान को समझने की करें तो, हर साल 1 फरवरी को आम बजट पेश किया जाता है। इसे देश के वित्त मंत्री पेश करते हैं। इस बजट में आगामी साल के लिए सरकार के पूरे साल की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा पेश किया जाता है। लेकिन साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। आमतौर पर चुनावी साल में अंतरिम बजट पेश किया जाता है और चुनाव के बाद जब नई सरकार बनती है, वो पूर्ण बजट पेश करती है।लेकिन इस बार अंतरिम बजट की बजाय वोट ऑन अकाउंट बजट की चर्चा हो रही है क्योंकि वित्त मंत्री ने ये साफ कर दिया है कि इस बार का बजट वोट-ऑन-अकाउंट बजट होगा, जिसमें बहुत बड़े ऐलान नहीं होंगे। पूर्ण बजट नई सरकार बनने के बाद पेश किया जाएगा।अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ ही महीनों के लिए होते हैं लेकिन दोनों के पेश करने के तरीकों में तकनीकी अंतर होता है।वोट-ऑन-अकाउंट को हिंदी में लेखानुदान कहा जाता है।इसका प्रावधान संविधान के आर्टिकल 116 में शामिल है। जब केंद्र सरकार पूरे साल की बजाय कुछ ही महीनों के लिए संसद से जरूरी खर्च के लिए मंजूरी लेनी होती है, तो वह वोट ऑन अकाउंट पेश करती है। इसमें सरकार को अपने जरूरी खर्चों के लिए कंसॉलिडिटेड फंड के इस्तेमाल की इजाजत मिलती है। अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा आमदनी को लेकर भी ब्यौरा पेश करती है।इसमें खर्च, रेवेन्यू, राजकोषीय घाटा, फाइनेंशियल परफार्मेंस और आने वाले महीनों के लिए अनुमान शामिल होते हैं. लेकिन अंतरिम बजट में कोई बड़ी नीतिगत घोषणा पेश नहीं की जाती है, ताकि सरकार पर वादों का बोझ नहीं पड़े। आम परंपरा के मुताबिक, जिस साल लोकसभा चुनाव होने होते हैं, उस साल केंद्र सरकार पूरे वित्त वर्ष की बजाए कुछ महीनों तक के लिए अंतरिम बजट पेश करती है. लेकिन अंतरिम बजट पेश करना ही है, ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती। इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा है, इसलिए सरकार अंतरिम बजट की बजाय वोट ऑन अकाउंट बजट पेश करने जा रही है।
साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा सांसद चुनाव 2024 की तैयारीयों की करें तो, मुख्य चुनाव आयुक्त ने गुरुवार को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से लोकसभा चुनाव बेदाग तरीके से करवाने को कहा। इसी साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं। सीईओ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए हमारे पास ठोस तैयारियां मौजूद हैं।चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जोर देते हुए कहा कि चुनाव कर्तव्य और संकल्प की यात्रा है। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के अनुरूप सभी हितधारकों को सर्वश्रेष्ठ संभव चुनावी अनुभव देने के लिए जरूरी कदमों को उठाने पर विश्वास जताया। यह दो दिवसीय सम्मेलन चुनावी योजना, खर्चे की निगरानी, वोटर लिस्ट, आईटी एप्लीकेशन, डेटा प्रबंधन और ईवीएम पर विषयगत चर्चा को लेकर है। इसके साथ ही सम्मेलन हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों से अनुभव और उससे मिली सीख साझा करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्होने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में आयोग मतदाताओं को सर्वोत्तम अनुभव सुनिश्चित करने पर जोर देगा। वहीं, चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह सम्मेलन 2024 के चुनावों की तैयारियों के तहत पिछले छह महीनों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षणों, सेमिनारों के साथ शुरू हुई कवायद का समापन है। आयुक्त ने कहा कि यह सम्मेलन लोकसभा चुनाव को संपन्न करवाने से पहले टीम निर्माण के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होने सभी प्रतिभागियों से अपने विचारों और चुनौतियों को स्वतंत्र रूप से शेयर करने और चर्चा करने का भी आग्रह किया।इसके अलावा जिन राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं वहां के सीईओ ने अपने अनुभवों, सीखों और चुनाव के दौरान अपनाई गई नई प्रथाओं को लेकर पीपीटी प्रस्तुती दीं।