चंद्राणी बन गईं सबसे युवा सांसद
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने से पहले तक ओडिशा की रहने वालीं चंद्राणी मुर्मू भी सामान्य लड़की की तरह थीं। ज्यादा वक्त नहीं बीता जब वो इंजीनियरिंग करके सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं दे रही थीं। लेकिन, चुनावी नतीजों के बाद उनके करियर की दिशा ही बदल गई है।
चंद्राणी मुर्मू ओडिशा में क्योंझर लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंची हैं और सबसे युवा महिला सांसद बनी हैं। 25 साल 11 महीने की उम्र में चंद्राणी ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है। वह सबसे कम उम्र की सांसद भी बन गई हैं। कुछ समय पहले तक चंद्राणी किसी भी अन्य युवा की तरह एक अच्छे करियर के लिए कोशिश कर रही थीं। लेकिन, अचानक उनकी राहें राजनीति की तरफ मुड़ गईं।
चंद्राणी बताती हैं कि चुनाव से कुछ समय पहले ही उनके पास ये मौका कैसे आया। चंद्राणी कहती हैं, ”मैं राजनीति में अचानक ही आ गई। पढ़ाई करते हुए कभी सोचा ही नहीं था कि राजनीति में आऊंगी। इसे मेरी किस्मत बोलिए या सौभाग्य कि मैं आज यहां हूं और इसके लिए मैं सबकी आभारी हूं।”
”दरअसल, क्योंझर महिला आरक्षित सीट है। इस पर चुनाव लड़ने के लिए सीधे मुझसे तो बात नहीं हुई, लेकिन मेरे मामा जी के जरिए मुझसे पूछा गया था। वो एक पढ़ी-लिखी उम्मीदवार भी ढूंढ रहे थे। शायद मैं उन्हें इस काबिल लगी कि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर पाऊंगी और इसलिए मुझे चुना गया।”
चंद्राणी मुर्मू ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया हुआ है और वो सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रही थीं। समय-समय पर प्रतियोगी परिक्षाएं भी देती थीं। चंद्राणी के परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहनें हैं। वो संयुक्त परिवार में रहती हैं। इन लोकसभा चुनावों में वो बीजू जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ी हैं और इस सफलता के लिए जनता और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक को श्रेय देती हैं।
वह कहती हैं, ”सबसे युवा सांसद होने की मुझे बहुत खुशी है और ये मेरी जिंदगी का गौरवान्वित करने वाला पल है। इसका संपूर्ण श्रेय मैं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को देना चाहूंगी क्योंकि उन्होंने मुझे ये मौका दिया है। चंद्राणी मुर्मू को राजनीति एक तरह से विरासत में मिली है। उनके पिताजी के परिवार में तो कोई राजनीति में नहीं है लेकिन उनके नाना हरिहर सोरेन पूर्व सांसद रह चुके हैं।
अपने नाना को अपना रोल मॉडल बताते हुए चंद्राणी कहती हैं, ”नाना जी के कारण घर पर राजनीतिक माहौल पहले से ही था। हालांकि, उनके बाद कोई भी सक्रिय राजनीति में नहीं आया लेकिन राजनीति में जो भी दिलचस्पी है वो नाना जी के ही कारण है। आज सभी कह रहे हैं कि ये हरिहर सोरेने की नातिन हैं। उनका नाम फिर से लिया जा रहा है।”
एक आदिवासी इलाके से होने के कारण चंद्राणी वहां मुख्य तौर पर शिक्षा पर काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं, ”हमारा जिला आदिवासी इलाका है। यहां लोगों के विकास के लिए सरकार की तरफ से बहुत सारी योजनाएं हैं, लेकिन लोग शिक्षा से वंचित हैं। मैं इसके लिए काम करूंगी क्योंकि किसी भी इलाके के विकास के लिए वहां के लोगों का जागरूक होना जरूरी है।”
मतदान से कुछ समय पहले ही चंद्राणी मुर्मू को लेकर एक विवादित वीडियो भी प्रचारित किया गया था। चंद्राणी इसे उनको बदनाम करने की साजिश बताती हैं। उनका कहना है, ”मेरे लिए चुनावी प्रचार बिल्कुल भी आसान नहीं था। वो उतार-चढ़ाव वाले दिन थे। उस वीडियो से मुझे बहुत हैरानी हुई थी लेकिन आखिर में जीत सच की ही होती है। साथ ही मैं चाहूँगी कि जिस तरह से मुझे मौका मिला है उसी तरह दूसरों को भी मिले।”