सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन ही नहीं बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास का माध्यम: President Murmu

नयी दिल्ली : President Murmu ने सौर ऊर्जा को केवल बिजली उत्पादन ही नहीं बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास का माध्यम बताते हुए कहा है कि इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हुए पारिस्थितिक संतुलन पर ध्यान दिये जाने की भी जरूरत है। श्रीमती मुर्मु ने मंगलवार को यहां अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा (आईएसए) के आठवें सत्र के उद्घाटन सत्र का उद्घाटन करते हुए कहा कि आईएसए मानवता की साझा आकांक्षा – समावेशिता, सम्मान और सामूहिक समृद्धि के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग करने का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि भारत इस संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है तथा इस दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि आईएसए सौर ऊर्जा को अपनाने और इसके इस्तेमाल को प्रोत्साहित करके इस वैश्विक चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

President Murmu

श्रीमती मुुर्मु ने समावेशिता की भारत की अवधारणा का उल्लेख करते हुए कहा कि सुदूर क्षेत्रों में घरों को रोशन कर सरकार ने सामाजिक समानता के अनुरूप कार्य किया है। उन्होंने कहा कि सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच समुदायों को सशक्त बनाती है, स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देती है, और ऐसे अवसरों के द्वार खोलती है जिनका प्रभाव बिजली की आपूर्ति से कहीं आगे तक है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन ही नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और समावेशी विकास का भी प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने सभी सदस्य देशों से बुनियादी ढांचे से आगे बढ़कर लोगों के जीवन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और कहा कि इस सभा को सामूहिक कार्य योजना विकसित करनी चाहिए जो सौर ऊर्जा को रोज़गार सृजन, महिला नेतृत्व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन से जोड़े। उन्होंने कहा,” हमारी प्रगति केवल मेगावाट से नहीं, बल्कि जीवन में रोशनी, मज़बूत परिवारों और समुदायों के जीवन में बदलाव से मापी जानी चाहिए। प्रौद्योगिकी विकास और नवीनतम एवं उन्नत तकनीकों को सभी के साथ साझा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बना रहे क्योंकि पर्यावरण संरक्षण ही हरित ऊर्जा की ओर रुख़ का मूल कारण है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा, ” हमें न केवल अपने देशों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए, न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अधिक समर्पण के साथ काम करना चाहिए।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सभा के विचार-विमर्श और निर्णय सौर ऊर्जा के उत्पादन में मील का पत्थर साबित होंगे जो एक समावेशी और समतामूलक विश्व के निर्माण में योगदान देगा।

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