बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के अंतर्गत 98% से अधिक मतदाताओं को शामिल किया गया: Election Commission
नयी दिल्ली: चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण का लक्ष्य है कि कोई योग्य मतदाता सूची से बाहर ना रहे। आयोग ने कहा कि इस अभियान में अब तक वर्तमान सूची के 99 प्रतिशत मतदाताओं से संपर्क किया जा चुका है या उनकी स्थिति के बारे में पक्की सूचना प्राप्त कर ली गई है। आयोग ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि फॉर्म ना भरने वालों, मृतकों व स्थायी रूप से प्रवास कर चुके मतदाताओं की बूथ स्तर की सूची, बूथ स्तरीय अधिकारी, मतदाता पंजीकरण अधिकारी, और जिला चुनाव अधिकारी सभी राजनैतिक दलों से 20 जुलाई को साझा कर चुके हैं ताकि वे किसी भी त्रुटि को बता सकें। आयोग ने कहा कि पुनरीक्षण संबंधित 24 जून को जारी आदेश के अनुरूप, 1 सितंबर तक कोई भी निर्वाचक या कोई भी राजनीतिक दल नाम छूटने पर दावा या ग़लत नाम शामिल होने पर आपत्ति दे सकते हैं।

आयोग के अनुसार बिहार में पुनरीक्षण अभियान में 99 प्रतिशत मतदाता कवर किये जा चुके हैं। स्थानीय बूथ स्तरीय और एजेंटों ने पाया है कि वर्तमान सूची में 21.6 लाख मृत मतदाताओं के नाम बने हुए हैं हैं। इसके अलावा सूची में 31.5 लाख स्थायी रूप से प्रवास कर चुके मतदाताओं के नाम पाए गए हैं। बूथ स्तरीय अधिकारियों और संतों को इस एक महीने के अभियान में अब तक एक लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल सका है।
स्थानीय बूथ स्तरीय अधिकारियों और एजेंट के घर-घर दौरों के बावजूद भी, सात लाख से कम मतदाताओं के फॉर्म अभी वापस नहीं मिले हैं। करीब 7.21 करोड़ मतदाताओं (91.32 फीसदी) के फॉर्म प्राप्त और डिजिटाइज्ड हो चुके हैं; इन सब मतदाताओं के नाम प्रारूप मतदाता सूची में शामिल होंगे।
बाक़ी फॉर्म भी स्थानीय अधिकारियों और एजेंट की रिपोर्ट के साथ डिजिटाइज हो रहे हैं ताकि दावा व आपत्ति के समय जांच करने में आसानी हो। पुनरीक्षण आदेश के अनुरूप, 1 अगस्त, 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जानी हैं और सभी 12 राजनैतिक दलों को उसकी प्रिंटेड तथा डिजिटल कॉपी दे दी जाएगी; प्रारूप मतदाता सूची वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेगी। निर्वाचन आयोग एक बार फिर दोहराता है कि विशेष ग्रहण पुनरीक्षण के आदेशों के अनुरूप, 1 सितंबर तक, कोई भी निर्वाचक या राजनैतिक दल नाम छूटने पर दावा या ग़लत नाम शामिल होने पर आपत्ति दे सकते हैं।




