Delhi: दिल्ली विश्वविद्यालय में 66वीं पुष्प प्रदर्शनी आयोजित

66th flower exhibition organized in Delhi University

दिल्ली विश्वविद्यालय के गौतम बुद्ध शताब्दी उद्यान में 66वीं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन शुक्रवार, 01 मार्च को किया गया। इस अवसर पर प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि फूल जीवन को प्रेरणा देते हैं, लेकिन अगर उनमें खुशबू न हो तो वह अच्छे नहीं लगते। इसी तरह से हमारा जीवन है। हमारे जीवन में अच्छाई, अपनेपन और मूल्यों की खुशबू होती है। लेकिन अगर व्यक्ति के जीवन में अपनापन और दूसरों के लिए अच्छा करने की चाह नहीं होगी और मूल्य नहीं होंगे तो वह जीवन निरर्थक है। इसलिए जैसे फूल खुशबू के साथ अच्छे हैं तो जीवन मूल्यों के साथ अच्छा लगता है। फूल हमें अपनी ज़िंदगी में यही पाठ पढ़ाते हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन से दिल्ली विश्वविद्यालय की पुष्प प्रदर्शनी में स्टाल लगाने को लेकर भी कुलपति ने खुशी जाहीर की। प्रदर्शनी के थीम “स्त्री और प्रकृति संवर्धन – सहकारिता एवं शाश्वत विकास का उत्सव” को लेकर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि 2024 के लिए यह थीम बहुत ही उपयुक्त है। हाल ही में भारतीय संसद ने महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में आरक्षण संबंधी नारी वंदन अधिनियम पास किया है। इस वर्ष नारियल अम्मा को पद्म श्री मिला है। सरकार ऐसे व्यक्तियों को पुरस्कार देकर सम्मानित कर रही है, ताकि लोग उनकी ज़िंदगी से प्रेरणा लें। इसी तरह से आज इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मिलेट्स की ब्रांड अंबेसडर सुश्री लहरी बाई और ड्रेगन वुमेन के नाम से विख्यात रीवा सूद को आमंत्रित किया गया है। ये दोनों भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। कुलपति ने कहा कि हमें ऐसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हमने तय किया है कि जीवित फूलों के साथ उत्सव मनाना चाहिए, फूलों को तोड़ कर मारा नहीं जाना चाहिए। इसके लिए समारोहों में स्टेज व अन्य साज-सज्जा के लिए फूलों को तोड़ने की बजाए गमलों के द्वारा सजावट को प्रथमकिता दी जा रही है। इसके साथ ही कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यों के दौरान जो वृक्ष बीच में आ रहे हैं उन्हें काटने की बजाए दूसरी जगह लगाने पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों और विस्तार कार्यों के लिए वृक्षों को हटाना तो पड़ता है, इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय में उपयुक्त स्थानों की पहचान करके सघन वन लगाने पर भी काम होना चाहिए, ताकि हरियाली कायम रहे। कुलपति ने भारत में फूलों के उत्पादन पर चर्चा करते हुए कहा कि देश में पुष्प उत्पादन में कर्नाटक सबसे आगे हैं जबकि तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेश भी अग्रिम पंक्ति में हैं। उत्तर भारत में भी फूलों की खेती को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यह क्षेत्र भी जीडीपी में सराहनीय योगदान कर सकता है।

इस अवसर पर नारा लेखन और पुष्प एवं बागवानी से संबंधित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। विश्वविद्यालय के कॉलेज में सर्वोत्तम हरित अभ्यास के लिए शताब्दी कप हंसराज कॉलेज को मिला। शो में सर्वाधिक अंक पाने पर कुलपति कप “कालीचरण पुरस्कार (7000 रुपये)” मिरांडा हाउस को मिला और शो में सर्वाधिक अंक पाने पर दूसरा प्लैटिनम जुबली कप कालीचरण पुरस्कार (5000 रुपये) ग्वायर हॉल को मिला। कुलपति से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो ने भी संबोधित किया। उन्होंने प्रकृति के संरक्षण में महिलाओं के योगदान पर चर्चा करते हुए देश की अनेकों ऐसी महिलाओं के नाम गिनवाए जिन्होंने पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हुए अपने-अपने क्षेत्र में प्रकृति के संरक्षण में सराहनीय कार्य किया है। उनसे पूर्व पुष्प प्रदर्शनी की चेयर पर्सन प्रो. रजनी अब्बी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के अंत में डीयू गार्डन कमेटी की सचिव प्रो. रूपम कपूर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह और रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button