बिहार – वृद्ध माता-पिता की सेवा नहीं करने वाले को हो सकती है जेल
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया फैसला
- माता-पिता का अपमान करने पर 5000 रुपए आर्थिक दंड या तीन माह कैद की सजा
- संपत्ति अपने नाम कराने के बाद माता-पिता को घर से निकाला तो रद्द होगा निबंधन
पटना. बेटे-बेटी द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा न करने संबंधी मामले सामने आने पर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सामाजिक सुरक्षा कानून के तहत अब बुजुर्गों की सेवा ने करने वाले बेटा-बेटी जेल तक जा सकते हैं। इससे संबंधी शिकायत हुई तो कार्रवाई होगी, आरोपी को जमानत तक नहीं मिलेगी। अब तक बुजुर्गों की सेवा को अनिवार्य बनाया गया था, लेकिन ऐसा न करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं था।
यह फैसला मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम में संशोधन किया गया। इसके तहत, राज्य में वृद्ध माता-पिता के अनादर के मामलों में सुनवाई की व्यवस्था में बदलाव किया गया। अब ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई के लिए गठित अधिकरण के अध्यक्ष जिले के डीएम होंगे। पहले जिला परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश इसके अध्यक्ष होते थे। राज्य सरकार ने यह कार्रवाई बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार की सिफारिश पर की। प्राधिकार ने सितंबर 2018 में ही राज्य सरकार को यह सुझाव दिया था।
बुजुर्ग को संपत्ति से नहीं कर पाएंगे बेदखल
नए प्रावधान के अनुसार वृद्ध माता-पिता का अपमान करने पर 5000 रुपए आर्थिक दंड या तीन माह कैद या दोनों सजा एक साथ हो सकती है। अगर संतान ने संपत्ति अपने नाम कराने के बाद माता-पिता को घर से निकाल दिया है तो एसडीओ इसके निबंधन को निरस्त करेंगे।
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